जानिए कौन हैं भारत के अलगे चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, 11 नवंबर को संभालेंगे कार्यभार

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना देश के नए मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) होंगे। गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस संजीव खन्ना को भारत के अगले चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति खन्ना मौजूदा चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की जगह लेंगे। संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 को देश के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालेंगे।

डी वाई चंद्रचूड़ की सिफारिश

बता दें कि यह नियुक्ति वर्तमान मुख्य न्यायाधिश डी वाई चंद्रचूड़ की सिफारिश के बाद की गई है। 65 वर्षीय डी वाई चंद्रचूड 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 8 नवंबर 2022 को भारत के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभाला था।

कानून मंत्री ने क्या बताया

केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, ”भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए माननीय राष्ट्रपति और भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद श्री न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया है। संजीव खन्ना 11 नवंबर 2024 से भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालेंगे।

देश 51वें CJI होंगे संजीव खन्ना

जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। उनका कार्यकाल लगभग सात महीने तक 13 मई 2025 तक रहेगा।

जानिए कौन हैं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना?

जस्टिस खन्ना को 18 जनवरी 2019 को दिल्ली हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों की अध्यक्षता की। जिनमें प्रमुख रूप से आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, और संजय सिंह की जमानत याचिकाओं से संबंधित दिल्ली शराब नीति मामला शामिल है।

मई में जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देकर सुर्खियां बटोरीं थी। इसे एक अनोखा फैसला बताया गया था।

इसके बाद जुलाई में पीठ ने फिर से केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी और मामले को बड़ी पीठ के पास भेज दिया। ताकि धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तारी के अतिरिक्त आधारों की आवश्यकता पर विचार किया जा सके और कानून के दुरुपयोग को रोका जा सके।

न्यायमूर्ति खन्ना की पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) और वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPATs) से संबंधित मुद्दों को भी संबोधित किया। हालांकि 100 प्रतिशत वीवीपीएटी सत्यापन के अनुरोध को खारिज कर दिया गया। लेकिन फैसले में भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को अतिरिक्त सुरक्षा उपाय लागू करने की सिफारिश की गई।

इसके अलावा जस्टिस खन्ना ने संविधान पीठ के कई महत्वपूर्ण निर्णयों में योगदान दिया। जिनमें अनुच्छेद 370 और इलेक्टोरल बॉन्ड्स मामले से जुड़े फैसले शामिल हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles