योगी आदित्यनाथ के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे पर अखिलेश यादव ने जोरदार प्रतिक्रिया दी है, इसे बीजेपी की नाकामी का प्रतीक करार दिया।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने हाल ही में बीजेपी के “बटेंगे तो कटेंगे” नारे पर टिप्पणी की। उन्होंने इसे इतिहास का सबसे नकारात्मक नारा बताते हुए कहा कि यह नारा बीजेपी के राजनीतिक पतन में एक अहम भूमिका निभाएगा।
नकारात्मकता का प्रतीक
अखिलेश यादव के अनुसार, बीजेपी का यह नारा उनकी निराशा और नाकामी का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस नारे ने यह साबित कर दिया है कि उनके पास अब केवल 10% मतदाता बचे हैं, जो अब भी उनकी ओर देख रहे हैं। इसके पीछे का कारण है कि बीजेपी अपने मतदाताओं को डराकर एकजुट करने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह प्रयास सफल नहीं होगा।
यादव ने कहा, “यह नारा देश के इतिहास में निकृष्टतम नारे के रूप में दर्ज होगा और बीजेपी के राजनीतिक पतन के अंतिम अध्याय की एक शाब्दिक कील साबित होगा।”
“जुड़ेंगे तो जीतेंगे” का नारा
बीजेपी के इस नारे का जवाब देते हुए समाजवादी पार्टी ने “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” का नारा दिया है। इस नारे को लेकर लखनऊ में पोस्टर भी लगाए गए हैं, जिसमें अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ “जुड़ेंगे तो जीतेंगे” लिखा है। उन्होंने बताया कि इस नारे का एक ही मकसद है—पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) को एकजुट करना।
योगी आदित्यनाथ का बयान
गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ ने अगस्त 2024 में एक रैली के दौरान “बटेंगे तो कटेंगे” का नारा दिया था। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में हो रही हिंसा का जिक्र करते हुए लोगों को चेतावनी दी कि अगर वे बंटते हैं, तो उन्हें नुकसान होगा।
यह नारा हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भी समर्थित किया गया। अखिलेश यादव ने इसे एक “विशेष लैब” में तैयार किया गया नारा बताया, जो बीजेपी की नाकामियों को छुपाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
यूपी में सियासी हलचल
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से यूपी में सियासी हलचल तेज हो गई है। इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने 43 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि बीजेपी गठबंधन को 36 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। एक सीट पर आजाद समाज पार्टी को भी जीत मिली।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी की परफॉर्मेंस को देखते हुए पार्टी में चिंता की लहर है। 2014 और 2019 के चुनावों में यूपी में बीजेपी ने एकतरफा जीत हासिल की थी, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। अखिलेश यादव की तंज भरी टिप्पणियों ने इस बदलाव को और स्पष्ट कर दिया है।