नई दिल्ली, 4 नवंबर 2024 – जम्मू-कश्मीर विधानसभा का सत्र आज से शुरू हुआ, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। पहले दिन ही पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पर्रा ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव का बीजेपी विधायकों ने कड़ा विरोध किया, जिसके चलते सदन में हंगामा मच गया।
सीएम उमर अब्दुल्ला का बयान
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस प्रस्ताव को महत्वहीन करार दिया। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रस्ताव के पीछे कोई वास्तविक उद्देश्य होता, तो इसके लिए पहले उनसे चर्चा की जाती। उन्होंने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर के लोग 5 अगस्त 2019 के निर्णय को स्वीकार नहीं करते हैं। यदि लोग इसे स्वीकार करते, तो आज का राजनीतिक परिदृश्य कुछ और होता। उमर ने कहा कि सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा करने का निर्णय केवल एक सदस्य नहीं ले सकता।
उमर अब्दुल्ला ने कहा, “यह प्रस्ताव केवल कैमरों के लिए है। इसका कोई वास्तविक महत्व नहीं है।” इसके बाद, उन्होंने स्पीकर से अनुरोध किया कि सदन की कार्यवाही को स्थगित किया जाए, जिस पर स्पीकर ने कार्रवाई को स्थगित कर दिया।
महबूबा मुफ्ती का समर्थन
वहीं, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने विधायक वहीद पर्रा के प्रस्ताव की सराहना की। उन्होंने कहा, “धारा 370 को हटाने के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने के लिए मैं वहीद पर्रा पर गर्व महसूस करती हूं। भगवान आपका भला करें।” मुफ्ती का यह बयान पीडीपी की मंशा को स्पष्ट करता है कि वह 370 को बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
2019 में धारा 370 का निरसन
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के सभी प्रावधानों को समाप्त कर दिया था, जो जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार प्रदान करता था। इसके परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया।
इस प्रकार, आज के विधानसभा सत्र का पहला दिन जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर क्या नई चर्चाएं होती हैं और विधायक इस पर आगे किस प्रकार की रणनीति अपनाते हैं।