झारखंड विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को इंडिया गठबंधन से एक भी सीट नहीं मिली है। इससे पहले, महाराष्ट्र में भी सपा को इसी तरह का बर्ताव देखने को मिला था। इस स्थिति के बाद, सपा के मुखिया अखिलेश यादव ने झारखंड में बड़ा कदम उठाते हुए 21 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करने का फैसला किया है।
सपा ने पहले चरण के लिए 11 और दूसरे चरण के लिए 10 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। जिन सीटों पर सपा ने प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें गढ़वा, बरही, मनिका, हुसैनाबाद, भगवानपुर, छतरपुर, विश्रामपुर, जमशेदपुर, बरकट्ठा, बड़कागांव, कांके, पाकुड़, महेशपुर, जरमुंडी, राजमहल, बोरयो, सारठ, जमुआ, निरसा, टुंडी और बाघमारा शामिल हैं।
सपा की नाराजगी और प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के नेताओं का कहना है कि उन्हें गठबंधन में उचित सम्मान नहीं मिला। इसलिए, संगठन की मांग पर सपा ने अपने प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया। इससे इंडिया गठबंधन के अन्य दलों, खासकर सत्ताधारी झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें कांग्रेस 30 और जेएमएम 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
महाराष्ट्र में भी मिला निराशाजनक जवाब
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए भी समाजवादी पार्टी ने महाविकास अघाड़ी के साथ सीटों के लिए बातचीत की थी, लेकिन वहां भी सपा को एक भी सीट नहीं मिली। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने यूपी विधानसभा उपचुनाव का बदला महाराष्ट्र में लिया, जहां सपा ने कांग्रेस को कोई सीट नहीं दी थी।
किसका होगा नुकसान?
सपा के उम्मीदवारों के उतारने से सीधा नुकसान इंडिया गठबंधन के दलों को हो सकता है। सपा कई सीटों पर वोट काटने का काम कर सकती है, जिससे विरोधी दलों को फायदा मिल सकता है। यदि सपा के उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल नहीं होते हैं, तो वे कम से कम वोट कटवा की भूमिका निभा सकते हैं। इस स्थिति को देखते हुए, सपा के चुनावी फैसले को महाराष्ट्र चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है।