नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को अनुच्छेद 370 की बहाली के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके बाद भाजपा की जम्मू-कश्मीर इकाई के अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। रैना ने कहा कि भाजपा इस प्रस्ताव को कभी स्वीकार नहीं करेगी और अनुच्छेद 370 को जम्मू-कश्मीर में कभी भी पुनः लागू नहीं होने देगी। उनका कहना था कि अनुच्छेद 370 अब इतिहास बन चुका है और इसे 5 अगस्त 2019 को समाप्त कर दिया गया था। रैना ने इसे “अलगाववाद और आतंकवाद की जननी” बताते हुए आरोप लगाया कि इस अनुच्छेद ने जम्मू-कश्मीर में कई बेगुनाह लोगों की हत्याओं, बम विस्फोटों और गोलीबारी को बढ़ावा दिया था।
भाजपा की स्थिति पर रैना का बयान
रैना ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी का कोई सवाल ही नहीं उठता, क्योंकि यह कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार था। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन ने अब इस मुद्दे को फिर से उठाने की कोशिश की है, लेकिन भाजपा इसे सख्ती से खारिज करती है। उनका कहना था कि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर में महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन हुआ था, साथ ही गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी, ओबीसी, दलित और गोरखा समाज के मानवाधिकारों का भी हनन हुआ।
रैना ने इस प्रस्ताव को राजनीतिक एजेंडे के तहत पेश किया गया एक प्रयास बताया, जिसे भाजपा कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा, “हम किसी भी कीमत पर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की वापसी को मंजूरी नहीं देंगे।”
महबूबा मुफ्ती का बयान
वहीं, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने प्रस्ताव की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर पीडीपी की सरकार होती, तो यह प्रस्ताव अधिक स्पष्टता के साथ पेश किया जाता। मुफ्ती ने इसे सिर्फ “क्रेडिट या डेबिट” का मामला नहीं माना और आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दबाव में आकर इस प्रस्ताव को प्रस्तुत किया है। उनका मानना था कि इस प्रस्ताव का स्वर किसी बड़ी बहुमत वाली पार्टी का नहीं लगता और इसे भविष्य में सुधारने की जरूरत है।
महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली का समर्थन करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रस्ताव में कोई ठोस मार्गदर्शन नहीं था, जो इसे वास्तविक रूप से लागू करने में सहायक हो सकता।
प्रस्ताव में क्या है?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पारित किए गए इस प्रस्ताव में राज्य के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी की अहमियत पर जोर दिया गया है। प्रस्ताव में यह कहा गया है कि अनुच्छेद 370 का एकतरफा निष्कासन जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों और संस्कृति के लिए नुकसानदायक था। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने भारत सरकार से यह मांग की है कि वह राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू करे ताकि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी की बहाली के लिए एक संवैधानिक तंत्र तैयार किया जा सके। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया कि यह प्रक्रिया राष्ट्रीय एकता और जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं दोनों का सम्मान करती हो।
इस प्रस्ताव के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक नया मोड़ आया है, जहां एक ओर भाजपा ने इसे पूरी तरह खारिज किया है, वहीं दूसरी ओर महबूबा मुफ्ती और अन्य विपक्षी दल इसे राज्य के हित में जरूरी कदम मानते हैं।