झांसी: 40 बच्चों की जान बचाने वाले 3 सुपरहीरोज की कहानी: अगर ये ना होते तो मौत का आंकड़ा 50 को पार कर सकता था
(झांसी, उत्तर प्रदेश) – झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के शिशु आईसीयू (NICU) में हुए भीषण आग के हादसे ने देश को झकझोर कर रख दिया। इस हादसे में 10 मासूम बच्चों की जान चली गई, लेकिन इसी हादसे में कुछ ऐसे लोग सामने आए, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना करीब 40 बच्चों की जान बचाई। इन तीन सुपरहीरोज ने अपनी बहादुरी से न सिर्फ बच्चों की जान बचाई, बल्कि पूरी घटना को लेकर सवाल भी उठाए हैं कि आखिर क्यों अस्पताल में इतनी लापरवाही बरती गई।
नर्सरी ICU में आग लगने का कारण क्या था?
झांसी मेडिकल कॉलेज के शिशु ICU में अचानक आग लग गई, जिससे पूरा वार्ड धुएं और आग की लपटों से भर गया। इस आग की वजह से बेड पर भर्ती 54 बच्चों की जान संकट में थी। यह हादसा रात 10 बजे हुआ, जब बच्चों को फीड करने का समय था। अचानक शॉर्ट सर्किट के कारण आग भड़क गई, और इसके बाद तेज धमाका हुआ। अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही और आग बुझाने की व्यवस्था की कमी के कारण इस आग ने जल्द ही पूरे ICU को अपनी चपेट में ले लिया।
मासूम बच्चों की जान बचाने के लिए 3 सुपरहीरोज का जज्बा
आग की लपटों के बीच, जब पूरे ICU में अफरा-तफरी मच गई, तब कुछ लोग देवदूत बनकर सामने आए और उन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर बच्चों को बचाया। इन तीन बहादुरों में से एक थे कृपाल सिंह राजपूत। वो खुद अस्पताल में अपनी नवजात बेटी को देखने आए थे। जैसे ही उन्होंने आग लगी देखी, बिना किसी डर के वह ICU में घुस गए और करीब 20 बच्चों को बचाया। उन्होंने बताया कि ICU में कुल 18 बेड थे, लेकिन 54 बच्चों को भर्ती किया गया था, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई थी। उन्होंने बताया कि जब अचानक आक्सीजन सिलेंडर फटा, तब आग ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया। कृपाल सिंह ने कम से कम 12 से 15 बार बच्चों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई।
कुलदीप और हरिशंकर का साहस
कृपाल सिंह के अलावा, दो और युवक कुलदीप और हरिशंकर ने भी ICU में छलांग लगाई और करीब 20 बच्चों को आग से बाहर निकाला। इन तीनों की बहादुरी ने अस्पताल में उपस्थित लोगों को भी चमत्कृत कर दिया। अगर ये तीन युवक वहां नहीं होते, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती थी। चिकित्सकों और अस्पताल कर्मचारियों ने भी माना कि इन सुपरहीरोज की वजह से बच्चों के बीच मौत का आंकड़ा 50 को पार कर सकता था।
अस्पताल की लापरवाही पर सवाल उठाने लगे हैं नेता
इस घटना के बाद पूरे देश में अस्पताल और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में आग बुझाने की व्यवस्था थी, लेकिन वह पूरी तरह से बेकार और एक्सपायरी हो चुकी थी। “यह घटना हृदय विदारक है और इसके लिए अस्पताल और प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार हैं,” प्रमोद तिवारी ने कहा।
वहीं, समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता जूही सिंह ने भी उत्तर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं। जूही सिंह ने कहा कि अस्पताल में आग से बच्चों की मौत हुई है, जिसके लिए स्वास्थ्य मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए।
क्या अस्पताल के प्रबंधन में सुधार होगा?
झांसी के इस अग्निकांड ने एक बार फिर से अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था और लापरवाही की कमी को उजागर किया है। अस्पताल के अधिकारी और प्रशासन इस मामले की जांच कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। अगर यह हादसा समय पर न रुकता तो न जाने कितने मासूम बच्चों की जान जा सकती थी।
इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि असली हीरो वो होते हैं जो संकट के समय अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं। कृपाल सिंह राजपूत, कुलदीप और हरिशंकर जैसे लोग आज के असली सुपरहीरो हैं, जिन्होंने अपनी बहादुरी से बच्चों को बचाया और समाज को एक जरूरी संदेश दिया कि कभी भी किसी संकट के समय न भागकर, अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।