योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारा अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले पर भारी पड़ा

उत्तर प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजे और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के रुझान यह साफ़ दर्शाते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारा लोगों के दिलों में गहरे उतर गया है, जबकि समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला अपने प्रभाव को पूरी तरह से कायम नहीं रख सका। इस बार चुनाव प्रचार में योगी आदित्यनाथ का यह नारा मुख्य चर्चा का विषय बन गया था।
बंटेंगे तो कटेंगे: योगी आदित्यनाथ का ऐलान
यूपी के विधानसभा उपचुनाव के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी और एनडीए के उम्मीदवारों का जोरदार प्रचार किया। खासकर यूपी और महाराष्ट्र में, उन्होंने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा देकर जनता को एकजुट रहने का संदेश दिया। उनका कहना था कि जिन लोगों ने समाज में जाति, धर्म और समुदायों को बाँटने की कोशिश की, उनसे सतर्क रहना चाहिए।
महाराष्ट्र में भले ही बीजेपी के सहयोगी दलों ने इस नारे पर आपत्ति जताई हो, लेकिन यूपी के चुनावी रुझानों ने यह साबित कर दिया कि योगी का संदेश जनता के बीच प्रभावी रहा। यूपी में बीजेपी के उम्मीदवारों को 6 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि उनकी सहयोगी आरएलडी को 1 सीट पर आगे बढ़त मिली है। इसके विपरीत, समाजवादी पार्टी को केवल 2 सीटों पर बढ़त हासिल हो पाई है।
अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला और उसकी विफलता
समाजवादी पार्टी ने इस चुनाव में अपने पारंपरिक पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) फार्मूले के जरिए जनता से समर्थन की उम्मीद जताई थी। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस फार्मूले के आधार पर चुनावी प्रचार किया और दावा किया कि समाज के वंचित वर्गों को मिलाकर सत्ता तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने इस दौरान जातिवाद और बंटवारे के खिलाफ अपने संदेश को और भी मजबूत किया, जिसके चलते उनके ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे ने काफी असर डाला।
इस नारे के तहत, योगी ने समाज को यह समझाने की कोशिश की कि किसी भी प्रकार का बंटवारा देश और समाज के लिए हानिकारक है। उन्होंने जनता से अपील की कि वे बंटवारे और अलगाव की राजनीति से दूर रहें और एकजुट होकर चुनाव में हिस्सा लें। यही कारण है कि यूपी में बीजेपी को बढ़त मिलती दिख रही है।
कांग्रेस को दरकिनार करते हुए अखिलेश यादव का आत्मविश्वास
चुनाव से पहले, अखिलेश यादव ने कांग्रेस को लगभग दरकिनार कर दिया था। उन्होंने कांग्रेस को केवल 2 सीटें देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने अपना फैसला बदलते हुए विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों को न उतारने का निर्णय लिया। इस फैसले के बावजूद, अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला किसी खास असर नहीं दिखा सका और चुनावी रुझान उनकी उम्मीदों के खिलाफ गए।
महाराष्ट्र में भी बीजेपी की जीत के संकेत
महाराष्ट्र में भी चुनाव के रुझानों ने बीजेपी को भारी समर्थन दिया है। यहां बीजेपी और उसके सहयोगी दल महायुति गठबंधन को बहुमत के आंकड़े से काफी आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसने भी योगी आदित्यनाथ के संदेश को पुख्ता किया है, जिसमें उन्होंने देश में एकजुटता की आवश्यकता पर जोर दिया था।
अब तक के रुझानों के अनुसार, यूपी में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की बढ़त साफ़ नजर आ रही है। बीजेपी के लिए यह जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि यह समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले के खिलाफ एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आई है। साथ ही, योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे ने राजनीतिक माहौल में एक नया मोड़ ला दिया है, जो जनता के बीच एकजुटता की भावना को जागरूक करने का काम कर रहा है।

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