आंध्र प्रदेश सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए राज्य वक्फ बोर्ड को भंग कर दिया है। यह निर्णय शनिवार को एक आदेश जारी कर लिया गया है, जिसमें वक्फ बोर्ड के पिछले गठन को रद्द कर दिया गया। कोर्ट में एक सदस्य के चुनाव को लेकर चल रहे मुकदमे के कारण बोर्ड की गतिविधियाँ ठप हो गई थीं, और अब सरकार ने यह फैसला बोर्ड की निष्क्रियता और प्रशासनिक शून्यता को दूर करने के लिए लिया है। इस कदम से वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और प्रशासन की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या है पूरा मामला?
आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर 2023 को एक आदेश जारी किया, जिसमें राज्य वक्फ बोर्ड के गठन के पिछले सभी निर्देशों को रद्द कर दिया गया। इसके पीछे कारण था कि बोर्ड का कामकाज कोर्ट के आदेश के कारण लंबे समय से रुका हुआ था। दरअसल, वक्फ बोर्ड के एक सदस्य के चुनाव को लेकर विवाद सामने आया था, जो अदालत तक पहुँच गया था। इसके परिणामस्वरूप कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से बोर्ड की गतिविधियाँ पूरी तरह से ठप हो गईं। अब इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने यह बड़ा कदम उठाया है।
आदेश में बताया गया है कि वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने इस मुद्दे को सरकार के ध्यान में लाया और कोर्ट में चल रहे मुकदमे को सुलझाने के लिए प्रशासनिक शून्यता को रोकने की आवश्यकता महसूस की। इसके साथ ही सरकार का यह निर्णय वक्फ संपत्तियों और उनके प्रशासन के मामलों में सुधार लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
कोर्ट का हस्तक्षेप और विवाद
इससे पहले 21 अक्टूबर 2023 को शेख खाजा, मुतवल्ली, विधायक हफीज खान और एमएलसी रूहुल्लाह को वक्फ बोर्ड के सदस्य के रूप में चुना गया था। इसके अलावा, आठ अन्य लोगों को भी वक्फ बोर्ड के सदस्य के रूप में नामित किया गया था। हालांकि, इन चुनावों और वक्फ बोर्ड के गठन के खिलाफ कई रिट याचिकाएं दायर की गईं। इन याचिकाओं में विशेष रूप से शेख खाजा के चुनाव और जीओ 47 की वैधता को चुनौती दी गई थी।
हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर विचार करते हुए वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के चुनाव पर रोक लगा दी थी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया था कि वक्फ बोर्ड के सदस्य का चुनाव रिट याचिकाओं के अंतिम परिणाम के आधार पर होगा। हाईकोर्ट का यह आदेश वक्फ बोर्ड की गतिविधियों में अड़चन डालने का कारण बना, जिसके बाद बोर्ड की गतिविधियाँ पूरी तरह से ठप हो गईं।
सरकार का नया कदम
राज्य सरकार ने अब वक्फ बोर्ड की निष्क्रियता को समाप्त करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके प्रबंधन में कोई भी शून्यता नहीं आने देगी। इसके तहत एक नई प्रक्रिया के जरिए राज्य वक्फ बोर्ड का गठन किया जाएगा, जिसमें कानूनी और प्रशासनिक मापदंडों का पालन किया जाएगा। नए वक्फ बोर्ड के गठन तक, राज्य सरकार वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके प्रबंधन के लिए अस्थायी व्यवस्थाएं कर सकती है।
वक्फ बोर्ड राज्य में मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और धर्मार्थ संपत्तियों की देखरेख करता है, और पिछले कुछ महीनों से बोर्ड की निष्क्रियता के कारण इन संपत्तियों के प्रबंधन में कई समस्याएं आ रही थीं। अब, सरकार का लक्ष्य इन समस्याओं को हल करना और वक्फ संपत्तियों का बेहतर तरीके से प्रबंधन सुनिश्चित करना है।
भविष्य के लिए सरकार की योजना
सरकार का यह निर्णय इस बात का संकेत है कि वह राज्य में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करने के लिए गंभीर है। सरकार ने कहा है कि नए बोर्ड के गठन के बाद वक्फ संपत्तियों से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जाएगा। इसके अलावा, नए बोर्ड की नियुक्ति तक, सरकार अस्थायी तौर पर वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाएगी, ताकि इन संपत्तियों का गलत इस्तेमाल न हो सके।
आंध्र प्रदेश में इस फैसले के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि वक्फ संपत्तियों का प्रशासन अधिक पारदर्शी और बेहतर तरीके से किया जाएगा। सरकार ने यह भी कहा है कि नए बोर्ड के गठन में किसी भी प्रकार की कानूनी अड़चन नहीं आने दी जाएगी, ताकि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे।