भारत सरकार ने हाल ही में फोन इंटरसेप्शन को लेकर नए नियम जारी किए हैं, जिसके तहत अब पुलिस अधिकारियों को आपातकालीन मामलों में फोन इंटरसेप्शन का आदेश देने का अधिकार मिलेगा। इन नियमों का उद्देश्य सुरक्षा और आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं के दौरान त्वरित कार्रवाई करना है। दूरसंचार विभाग द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना के तहत पुलिस महानिरीक्षक (IG) और उनसे उच्च रैंक के अधिकारी आपातकालीन स्थिति में फोन इंटरसेप्शन के आदेश दे सकेंगे।
आपातकालीन आदेश की पुष्टि अनिवार्य
नए नियमों के अनुसार, जब पुलिस अधिकारी आपातकालीन मामले में फोन इंटरसेप्शन का आदेश देंगे, तो उन्हें सात दिन के अंदर उस आदेश की पुष्टि करना जरूरी होगा। अगर आदेश की पुष्टि नहीं की जाती है, तो इंटरसेप्ट किए गए संदेशों का कोई उपयोग नहीं किया जा सकेगा। यह नियम यह सुनिश्चित करने के लिए है कि इस तरह के आदेशों का गलत उपयोग न हो और किसी भी गलत उद्देश्य के लिए इंटरसेप्ट किए गए संदेशों का प्रयोग न किया जाए।
इसके साथ ही, यह भी तय किया गया है कि जिस दौरान संदेश इंटरसेप्ट किए जाएंगे, उन्हें दो दिन के अंदर डिलीट कर दिया जाएगा। यह सुरक्षा उपाय है ताकि किसी भी संदेश को लंबे समय तक रखा न जाए और कोई भी संवेदनशील जानकारी गलत हाथों में न जाए।
अगर अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं तो कौन देगा आदेश?
किसी राज्य में यदि संबंधित अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं, तो केंद्रीय स्तर की एजेंसियां इस प्रकार के आदेश जारी करेंगी। इसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी या अन्य वरिष्ठ अधिकारी, जो इस प्रकार के आदेश देने के लिए सक्षम हैं, इंटरसेप्शन आदेश जारी करने का अधिकार रखेंगे। यह व्यवस्था उन दूरदराज के इलाकों के लिए है, जहां राज्य के अधिकारी त्वरित कार्रवाई नहीं कर सकते।
राज्य स्तर पर समीक्षा समिति का गठन
नए नियमों के अनुसार, राज्य स्तर पर भी एक समीक्षा समिति बनाई जाएगी, जो फोन इंटरसेप्शन के आदेशों की निगरानी करेगी। राज्य स्तर पर समीक्षा समिति के अध्यक्ष के रूप में मुख्य सचिव होंगे, जबकि गृह सचिव और राज्य के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को इसमें सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा। इस समिति का काम यह सुनिश्चित करना होगा कि फोन इंटरसेप्शन के आदेशों का सही तरीके से पालन किया जाए और कोई भी आदेश गलत तरीके से जारी न किया जाए।
केंद्र स्तर पर, इस समीक्षा समिति की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करेंगे, जबकि इसमें कानून सचिव और दूरसंचार सचिव भी सदस्य होंगे। यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी स्थिति में नियमों का उल्लंघन न हो और सभी आदेश सही तरीके से दिए जाएं।
फोन इंटरसेप्शन को लेकर अधिक पारदर्शिता और निगरानी
सरकार का उद्देश्य इन नए नियमों के माध्यम से फोन इंटरसेप्शन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और नियंत्रित बनाना है। सुरक्षा कारणों से कभी-कभी फोन इंटरसेप्शन की आवश्यकता होती है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका दुरुपयोग न हो। नए नियमों के तहत सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस अधिकारियों को ज़्यादा जिम्मेदारी दी गई है, ताकि इस प्रक्रिया का उपयोग सिर्फ कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जा सके।
नवीनतम नियमों का उद्देश्य
नए नियमों का प्रमुख उद्देश्य देश के अंदर सुरक्षा के लिए त्वरित निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाना है। साथ ही, इन नियमों में यह सुनिश्चित किया गया है कि फोन इंटरसेप्शन के आदेशों का सही उपयोग किया जाए और किसी भी परिस्थिति में इसके दुरुपयोग की संभावना न हो। इन नियमों से यह भी अपेक्षित है कि राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारी इसे कानून के दायरे में रहकर लागू करेंगे, ताकि कोई भी संवेदनशील सूचना गलत हाथों में न जाए और नागरिकों की गोपनीयता का उल्लंघन न हो।
अधिसूचना में पारदर्शिता और सुरक्षा का महत्व
सरकार ने इन नियमों को पारदर्शी बनाने का प्रयास किया है ताकि नागरिकों को यह महसूस हो कि उनका डेटा और संचार सुरक्षित है और इसे केवल सही परिस्थितियों में इंटरसेप्ट किया जाएगा। किसी भी प्रकार के इंटरसेप्शन को लेकर समीक्षा और निगरानी समितियां सक्रिय रहेंगी, जो यह सुनिश्चित करेंगी कि कोई भी आदेश गलत उद्देश्यों के लिए न हो।
इन नए नियमों के तहत सरकार ने फोन इंटरसेप्शन के मामलों में पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी की आवश्यकता को बल दिया है, ताकि समाज की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न हो।