जाकिर हुसैन को इस शख्स से मिला था ‘उस्ताद’ का खिताब, एक्टिंग में भी दिखाया था टैलेंट

दुनिया के सबसे मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया। भारतीय संगीत की दुनिया के इस दिग्गज ने अपनी कला से दुनियाभर में नाम कमाया। उनकी हर एक धुन में जो जादू था, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। जाकिर हुसैन का योगदान केवल तबला तक सीमित नहीं था। एक्टिंग, संगीत, और उनकी शख्सियत ने भी उन्हें एक अनोखी पहचान दिलाई। इस खबर में हम जाकिर हुसैन के जीवन के कुछ अहम पहलुओं पर रोशनी डालेंगे और बताएंगे कि कैसे वे ‘उस्ताद’ बने।

जाकिर हुसैन का संगीत सफर: तबला से उस्ताद तक
जाकिर हुसैन का जन्म एक संगीतकार परिवार में हुआ था। उनके पिता उस्ताद अल्ला रक्खा खां भी मशहूर तबला वादक थे। जाकिर हुसैन को बचपन से ही संगीत से गहरी लगन थी। बहुत कम उम्र में ही उन्होंने तबला वादन में महारत हासिल कर ली थी। उन्हें संगीत की दुनिया में अपना नाम बनाने में ज्यादा समय नहीं लगा।

उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपने जीवन में अनेक प्रतिष्ठित सम्मान जीते। उन्हें भारत सरकार ने 1988 में पद्मश्री से नवाजा था। वह इस सम्मान को प्राप्त करने वाले सबसे कम उम्र के कलाकारों में से एक थे। उनका नाम भारतीय संगीत के सबसे बड़े और सम्मानित कलाकारों में गिना जाता है।

पंडित रविशंकर ने दिया था ‘उस्ताद’ का खिताब
जाकिर हुसैन को ‘उस्ताद’ का खिताब पंडित रविशंकर से मिला था। यह सम्मान उन्हें उनके अद्वितीय संगीत की वजह से दिया गया था। पंडित रविशंकर ने उन्हें ‘उस्ताद’ कहकर पुकारा, जो कि उनके करियर का एक ऐतिहासिक पल साबित हुआ। उसके बाद, यह नाम पूरे संगीत जगत में फैल गया और वह सिर्फ जाकिर हुसैन से ‘उस्ताद जाकिर हुसैन’ बन गए।

जाकिर हुसैन की एक्टिंग की यात्रा
संगीत में ही नहीं, जाकिर हुसैन ने अभिनय में भी अपनी किस्‍मत आजमाई थी। 1983 में आई फिल्म हीट एंड डस्‍ट से उन्‍होंने अपनी एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में उन्होंने एक मकान मालिक का किरदार निभाया था, जिसे दर्शकों ने सराहा था। इसके बाद जाकिर हुसैन ने फिल्म साज (1998) में शबाना आजमी के साथ भी काम किया था। फिल्म में उनका किरदार भी दर्शकों को बेहद पसंद आया। इसके अलावा, जाकिर हुसैन द परफेक्ट मर्डर जैसी फिल्मों में भी नजर आए थे।

फिल्मी दुनिया में जाकिर हुसैन का योगदान
संगीत की दुनिया में जितना उनका नाम था, उतना ही वह फिल्मी दुनिया में भी अपना प्रभाव छोड़ गए थे। उन्होंने बावर्ची, सत्यम शिवम सुंदरम, और हीर-रांझा जैसी फिल्मों के संगीत में अपना योगदान दिया था। इन फिल्मों में उनका संगीत भारतीय फिल्मों की शान बन गया था। इसके अलावा, इस साल की शुरुआत में जाकिर हुसैन ने देव पटेल की फिल्म मंकी मैन में भी अभिनय किया था। इस फिल्म में उन्होंने एक तबला वादक का रोल निभाया था, जिसे दर्शकों ने खूब सराहा था।

तबला वादन के अलावा भी जाकिर हुसैन का था ये टैलेंट
जाकिर हुसैन का योगदान सिर्फ तबला तक सीमित नहीं था। वह एक वर्सेटाइल कलाकार थे, जिनकी पहचान सिर्फ उनके तबले के कारण ही नहीं थी, बल्कि उनकी संगीत की समझ, उनकी तकनीकी महारत और संगीत के प्रति उनके प्यार की वजह से भी थी। उनका संगीत दुनियाभर में फेमस हुआ और उन्‍हें अनगिनत सम्मान मिले। वह उन गिने-चुने कलाकारों में से थे, जिन्होंने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया।

जाकिर हुसैन की शख्सियत: अट्रैक्टिव लुक्स और निरंतर रचनात्मकता
जाकिर हुसैन को उनके आकर्षक लुक्स और व्यक्तिगत आकर्षण के लिए भी जाना जाता था। वे अपने शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ अपनी शख्सियत के लिए भी प्रसिद्ध थे। उनकी वादन शैली ने कई संगीत प्रेमियों का दिल जीता। उनकी तबले की धुनों में कुछ खास था जो सुनने वालों को एक अलग ही दुनिया में ले जाती थी। यही वजह थी कि वे हर किसी के दिल में अपनी एक खास जगह बना गए थे।

जाकिर हुसैन का योगदान भारतीय संगीत में अमर रहेगा
जाकिर हुसैन ने जितनी भी उपलब्धियां हासिल की, वह उनके कड़े परिश्रम और अपने कला के प्रति उनकी अडिग निष्ठा का परिणाम थीं। वह न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय शास्त्रीय संगीत का प्रतिनिधित्व करते थे। जब भी संगीत और तबला वादन की बात होगी, जाकिर हुसैन का नाम हमेशा लिया जाएगा।

एक युग का अंत
उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन भारतीय संगीत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी तबले की धुनों ने हमेशा हमारे दिलों को छुआ है, और उनकी कला हमेशा जीवित रहेगी। उनकी विरासत को सहेजने की जिम्मेदारी अब हम सभी की है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस महान कलाकार के बारे में जान सकें।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles