उत्तर प्रदेश के संभल जिले के खग्गू सराय इलाके में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर को प्रशासन ने 46 साल बाद फिर से खोल दिया है। अधिकारियों के मुताबिक, अतिक्रमण की जानकारी मिलने के बाद जब प्रशासन की टीम ने मौके का दौरा किया, तो उन्हें यह मंदिर मिला। मंदिर के अंदर शिवलिंग के साथ-साथ हनुमान जी की मूर्ति और एक प्राचीन कुआं भी मिला, जिसकी खुदाई में तीन और प्रतिमाएं भी मिलीं। यह मंदिर अब एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सामने आ रहा है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि आखिर क्यों इतने लंबे समय तक यह मंदिर बंद पड़ा था।
प्राचीन मंदिर का इतिहास: 300 साल पुराना शिव मंदिर
यह मंदिर लगभग 300 साल पुराना बताया जा रहा है, और इसे कार्तिक शंकर मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह इलाका पहले हिंदू बहुल था, और इस मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा था। मंदिर के बारे में 82 साल के विष्णु शरण रस्तोगी, जो इस इलाके के निवासी हैं, बताते हैं कि उनके पूर्वजों ने इस मंदिर का निर्माण किया था। रस्तोगी के अनुसार, इस मंदिर के पास एक पीपल का पेड़ था और एक कुआं भी था, जहां लोग सुबह-शाम पूजा करने आते थे और कीर्तन भी होता था।
लेकिन 1978 में हुए दंगों के बाद, इस इलाके में स्थिति बदल गई। इस दंगे के बाद हिंदू परिवारों ने इस इलाके को छोड़ दिया और मंदिर में पूजा-पाठ बंद हो गया। रस्तोगी बताते हैं कि इस समय के बाद से ही मंदिर का ताला बंद पड़ा था और यहां कोई पूजा नहीं होती थी।
हिंदू परिवारों का पलायन: क्या हुआ था 1978 में?
विष्णु शरण रस्तोगी बताते हैं कि 1978 में हुए दंगों के बाद, हिंदू परिवारों ने यहां से पलायन करना शुरू कर दिया था। उस समय यहां हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के लोग रहते थे, लेकिन दंगों ने समुदायों के बीच का भाईचारा तोड़ दिया। रस्तोगी बताते हैं, “उस समय यहां लगभग 40 से 42 हिंदू परिवार रहते थे, और थोड़ी ही दूरी पर मुस्लिम परिवार भी थे। लेकिन दंगों के बाद हिंदू परिवार डर के मारे यहां से चले गए, क्योंकि इलाके में मुस्लिम आबादी ज्यादा थी।”
रस्तोगी यह भी बताते हैं कि मंदिर के पास कीर्तन होता था और लोग मंदिर में पूजा करने आते थे, लेकिन जब यहां से हिंदू परिवारों का पलायन हुआ, तो मंदिर भी वीरान हो गया। उन्होंने बताया कि 2005 तक इस इलाके में उनका कुनबा ही बाकी था, लेकिन फिर उनकी संपत्ति भी बिक गई।
मंदिर पर अतिक्रमण: बंद पड़ी पूजा की वजह
विष्णु शरण रस्तोगी के अनुसार, मंदिर में पूजा अर्चना करने वाला कोई नहीं बचा था। उन्होंने 40 साल पहले एक पुजारी को नियुक्त किया था, ताकि मंदिर में पूजा की जा सके, लेकिन पुजारी को भी वहां जाने में डर लगता था। वे दो-तीन दिन तो गए, लेकिन फिर वहां जाने से मना कर दिया। रस्तोगी बताते हैं कि मंदिर के आसपास अतिक्रमण हो चुका था। मंदिर के चारों ओर एक 4 फीट का परिक्रमा मार्ग था, लेकिन यह मार्ग अब अतिक्रमणकारियों ने घेर लिया था। यहां तक कि मंदिर के शिखर पर भी छज्जे बना दिए गए थे।
मंदिर के पास जो प्राचीन कुआं था, उसे भी अतिक्रमणकारियों ने बंद कर दिया और उसपर गाड़ी खड़ी करने के लिए एक रैंप बना दिया। रस्तोगी कहते हैं कि मंदिर की जमीन उनके परिवार ने दी थी, और यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है। बावजूद इसके, इसे इस तरह से छोड़ दिया गया और बंद कर दिया गया।
प्रशासन की पहल: 46 साल बाद मंदिर को खोला
हाल ही में प्रशासन को अतिक्रमण की सूचना मिली, जिसके बाद प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर मंदिर की सफाई की और इसे फिर से खोला। इस मंदिर में अब शिवलिंग के अलावा हनुमान जी की मूर्ति भी मिली है। इसके अलावा, मंदिर के आसपास एक प्राचीन कुआं भी मिला, जिसमें खुदाई करने पर तीन और प्रतिमाएं पाई गईं।
यह कदम प्रशासन की ओर से मंदिर के महत्व को समझते हुए उठाया गया है, ताकि इसे फिर से आम लोगों के लिए खोला जा सके और इसके ऐतिहासिक महत्व को संरक्षित किया जा सके। इस कदम से यह उम्मीद जताई जा रही है कि मंदिर फिर से धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा और लोग यहां पूजा करने के लिए आएंगे।