प्रियंका गांधी के बैग पर हंगामा क्यों?

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी सोमवार को संसद में एक खास बैग लेकर पहुंची, जिस पर “फिलिस्तीन आज़ाद होगा” लिखा था। बैग पर फिलिस्तीन का झंडा तो नहीं था, लेकिन उस पर कई ऐसे प्रतीक और सिंबल थे, जो इज़राइल के खिलाफ और फिलिस्तीन के समर्थन में माने जा रहे थे। जैसे ही बैग की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, बीजेपी नेताओं ने प्रियंका गांधी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया। हालांकि, प्रियंका गांधी ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि वे खुद तय करेंगी कि क्या पहनेंगी।

बैग पर बने प्रतीक और उनका अर्थ

प्रियंका के बैग पर बने प्रतीक केवल दिखावटी नहीं थे, बल्कि हर एक का गहरा मतलब था। आइए जानते हैं उन प्रतीकों का क्या अर्थ है:

  1. कैफियेह
    बैग के दाहिने हिस्से पर ब्लैक और व्हाइट में एक चौकोर पैटर्न बना हुआ है, जिसे कैफियेह कहते हैं। यह एक पारंपरिक फिलिस्तीनी स्कार्फ है, जिसे फिलिस्तीन के लोग स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय के प्रतीक के रूप में पहनते हैं। यह यासर अराफात का ट्रेडमार्क भी था और फिलिस्तीनी आंदोलन का हिस्सा है।
  2. सफेद कबूतर
    बैग पर एक सफेद कबूतर का चित्र है, जो शांति और स्वतंत्रता का प्रतीक माने जाता है। यह कबूतर अपनी चोंच में जैतून की टहनी भी पकड़े हुए है, जो शांति का एक और प्रतीक है। बाइबिल में इसका उल्लेख मिलता है, जब बाढ़ के बाद नूह के जहाज से एक कबूतर भेजा गया था, जो जैतून की टहनी लेकर आया था, यह संदेश देने के लिए कि बाढ़ खत्म हो चुकी है।
  3. ऑलिव ब्रांच (जैतून की शाखा)
    प्रियंका गांधी के बैग पर एक पौधा भी बना हुआ है, जो जैतून की शाखा है। जैतून के पेड़ को फिलिस्तीन में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह शांति, समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक है। इसके अलावा, फिलिस्तीनी अर्थव्यवस्था में जैतून की खेती का बहुत बड़ा योगदान है।
  4. फिलिस्तीनी कढ़ाई
    बैग के ऊपर फिलिस्तीन शब्द के पास, फिलिस्तीनी कढ़ाई का डिज़ाइन भी बना हुआ है। यह पारंपरिक कला फिलिस्तीनी महिलाओं द्वारा सुई और धागे से की जाती है। यह कला पीढ़ियों से चली आ रही है और इसे यूनेस्को ने सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है।
  5. तरबूज
    बैग पर एक तरबूज का चित्र भी है, जो फिलिस्तीन का एक प्रमुख फल है। इसमें फिलिस्तीनी झंडे के रंग – लाल, हरा, सफेद और काला – दिखते हैं। यह फल फिलिस्तीन के विरोध प्रदर्शनों का हिस्सा रहा है, खासकर जब इज़राइल ने 1967 में गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था और फिलिस्तीनी झंडे को प्रतिबंधित कर दिया था। तब से लोग तरबूज का चित्र अपने विरोध में इस्तेमाल करते हैं।

हंगामा क्यों मचा?

प्रियंका गांधी का यह बैग फिलिस्तीन के समर्थन में था, लेकिन इसके प्रतीकों ने विवाद खड़ा कर दिया। भाजपा नेताओं ने इसे तुष्टिकरण की राजनीति का हिस्सा बताते हुए आलोचना की, जबकि प्रियंका ने इस पर स्पष्ट किया कि वह अपनी पसंद के अनुसार चीजें पहनने और चुनने का हक रखती हैं। बैग पर बने इन प्रतीकों ने फिलिस्तीन की एकजुटता और संघर्ष को दर्शाया है, जिसके चलते यह मुद्दा राजनीति में गरमाया हुआ है।

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