भारत और चीन के रिश्तों में तनाव: क्या हैं वो विवाद जो बढ़ा रहे हैं दरार?

भारत और चीन के बीच रिश्तों में तनाव कोई नई बात नहीं है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और राजनीतिक मतभेद सालों से चलते आ रहे हैं, और ये अब तक नहीं सुलझ पाए हैं। लेकिन हाल के सालों में, खासकर 2020 में, इन रिश्तों में एक नया मोड़ आया। तब से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है, और वो तनाव लद्दाख के गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद से काफी बढ़ गया है।

अजीत डोभाल का चीन दौरा: बातचीत की कोशिश

हाल ही में, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए भी खास मानी जा रही है क्योंकि 2019 के बाद ये पहला मौका था जब भारत का कोई बड़ा अधिकारी चीन गया था। इस बातचीत में मुख्य रूप से लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति बनाए रखने और दोनों देशों के बीच बातचीत फिर से शुरू करने पर चर्चा हुई। इसके अलावा, इस मुलाकात को दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद

भारत और चीन की सीमा 3,488 किलोमीटर लंबी है, जिसे LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) कहा जाता है। यह सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती है। लेकिन चीन इसे सिर्फ 2,000 किलोमीटर ही मानता है। इस सीमा के कई हिस्सों में दोनों देशों के दावे अलग-अलग हैं, और यही कारण है कि अब तक सीमा पर कोई स्पष्ट सीमा रेखा नहीं बन पाई है।

अक्साई चिन: सबसे बड़ा विवाद

अक्साई चिन, जो कि पश्चिमी सेक्टर में आता है, भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा विवादित क्षेत्र है। 1897 में ब्रिटिश काल में, भारत और चीन के बीच एक सीमा रेखा खींची गई थी, जिसे जॉनसन-आर्डाघ लाइन कहा जाता है। भारत ने 1947 में स्वतंत्रता के बाद इसे अपनी सीमा माना, लेकिन 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया, और वह आज तक इस क्षेत्र पर अपना नियंत्रण बनाए हुए है।

अरुणाचल प्रदेश पर भी विवाद

चीन का दावा अरुणाचल प्रदेश पर भी है। 1914 में शिमला समझौते के तहत ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच एक सीमा तय की गई थी, जिसे मैकमोहन लाइन कहा जाता है। इस लाइन के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा था, लेकिन चीन इसे मानने को तैयार नहीं है। चीन का कहना है कि 1914 में तिब्बत पर उसका अधिकार नहीं था, इसलिए इस समझौते को मान्यता नहीं दी जा सकती।

तवांग पर चीन की नजरें

चीन की नजरें अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले पर भी हैं। तवांग में 333 साल पुराना एक बौद्ध मठ है, जो बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है। चीन तवांग को तिब्बत का हिस्सा मानता है और कहता है कि यहां की सांस्कृतिक समानता के कारण यह तिब्बत का ही हिस्सा है। दलाई लामा जब तवांग के बौद्ध मठ का दौरा करने गए थे, तो चीन ने इसका विरोध किया था।

2020 में गलवान घाटी का संघर्ष

2020 में, लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते बहुत बिगड़ गए थे। हालांकि, दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह तय हुआ कि सेनाएं विवादित इलाकों से पीछे हटेंगी। इसके बाद दोनों देशों की सेनाएं पहले जैसी स्थिति में लौट आईं और अब अप्रैल 2020 से पहले वाली गश्त करने लगी हैं।

डोकलाम विवाद: एक और समस्या

2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर भी विवाद हो गया था। यह इलाका चीन और भूटान के बीच विवादित था, लेकिन यह सिक्किम बॉर्डर के पास है, इसलिए भारत के लिए भी यह काफी महत्वपूर्ण था। जब चीन ने इस इलाके में सड़क बनाने की कोशिश की, तो भारत ने इसका विरोध किया। यह विवाद 70-80 दिन चला था, और अंत में बातचीत के जरिए इसका हल निकाला गया।

भारत और चीन के रिश्तों में क्या भविष्य है?

भारत और चीन के रिश्ते बहुत ही जटिल हैं। सीमा विवाद, ऐतिहासिक मतभेद, और सांस्कृतिक मुद्दों ने इन दोनों देशों के रिश्तों में एक गहरी दरार डाल दी है। हालांकि, हाल में दोनों देशों के बीच बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों से उम्मीद जताई जा रही है कि हालात में कुछ सुधार हो सकता है। लेकिन ये विवाद इतने पुराने और जटिल हैं कि उनका समाधान समय ले सकता है।

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