उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने पार्टी के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। बीजेपी नेताओं पर हमलावर हुए संजय निषाद ने पार्टी पर निषाद आरक्षण की मांग को नजरअंदाज करने और निषाद समुदाय के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही, उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि आखिर बीजेपी में विभीषण कौन हैं? उनका यह बयान बीजेपी के भीतर के अंदरूनी राजनीति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। संजय निषाद का यह बयान उनके बेटे प्रवीण निषाद की हार के बाद आया है, जो हाल ही में लोकसभा चुनाव 2024 में सपा के प्रत्याशी लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद से हार गए थे।
बीजेपी में विभीषण कौन?
संजय निषाद का कहना है कि उनके बेटे की हार के पीछे बीजेपी के कुछ नेताओं की मिलीभगत थी। उन्होंने यह सवाल पूछा कि, “बीजेपी में विभीषण कौन हैं? अगर ऐसे लोग पार्टी में हैं तो उनकी पहचान क्यों नहीं हो रही है?” निषाद का यह बयान पार्टी में भीतरघात की ओर इशारा करता है, और इसने बीजेपी के अंदर की राजनीति पर एक नया मोड़ दिया है।
आरक्षण की मांग और पार्टी की नाराजगी
निषाद ने खुलकर कहा कि बीजेपी से उनकी पार्टी निषाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रही थी, लेकिन बीजेपी ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावों में सीट शेयरिंग को लेकर बीजेपी ने पहले आरक्षण पर चर्चा करने का वादा किया था, लेकिन जब बात आई तो बीजेपी ने किसी तरह का समर्पण नहीं किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी ने पिछले पांच सालों में उनकी पार्टी से किए गए वादों को पूरी तरह से नकारा है। निषाद ने कहा, “अब हम अपने युवाओं को क्या मुंह दिखाएंगे, जो बीजेपी से उम्मीद लगाए हुए थे?” उनका यह बयान बीजेपी के खिलाफ एक तीखा हमला था।
बीजेपी का चुनावी हार और समुदाय का प्रभाव
संजय निषाद ने दावा किया कि उनका समुदाय उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 200 सीटों पर असर डालता है। उन्होंने कहा कि इन सीटों पर बीजेपी जीत तो रही है, लेकिन उसकी जीत का मार्जिन पहले जैसा नहीं रहा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बीजेपी को अगर अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करना तो उसे आने वाले चुनावों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
गठबंधन में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति पर हमला
निषाद ने बीजेपी के भीतर बाहरी नेताओं को ज्यादा तवज्जो दिए जाने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी में बाहरी नेताओं की सुनवाई ज्यादा हो रही है, जबकि उनके जैसे स्थानीय नेता उपेक्षित हैं। निषाद का कहना था कि यही बाहरी लोग पहले सपा और कांग्रेस को खत्म करने में सफल रहे थे, और अगर बीजेपी ने अपनी नीतियों में बदलाव नहीं किया तो वह भी 2027 में पार्टी को डुबो देंगे।
2027 के चुनाव को लेकर बड़ा बयान
संजय निषाद ने सीधे तौर पर बीजेपी को चेतावनी दी है कि अगर पार्टी ने 2027 तक निषाद समुदाय की मांगों पर विचार नहीं किया तो बीजेपी को सत्ता में वापस आने का मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने साफ कहा कि अगर उनकी पार्टी की मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो बीजेपी को चुनावों में मुंह की खानी पड़ेगी और 2027 के चुनाव में बीजेपी का खाता भी नहीं खुल पाएगा।
क्या हैं निषाद की मांगें?
निषाद पार्टी की मुख्य मांग निषाद आरक्षण को लेकर है। संजय निषाद और उनकी पार्टी का मानना है कि उनकी जाति को भी ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए, और इसके लिए उन्होंने कई बार आवाज उठाई है। साथ ही, सीट शेयरिंग को लेकर भी निषाद पार्टी की नाराजगी साफ दिखाई देती है। पार्टी का कहना है कि उन्हें पूरी तरह से बीजेपी का साथ देने के बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।
आगे क्या होगा?
संजय निषाद ने बीजेपी को एक कड़ी चेतावनी दी है कि अगर 2027 के चुनाव से पहले उनकी पार्टी की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो बीजेपी को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने पार्टी के अंदर के विभाजन पर भी सवाल उठाए हैं, और यह उम्मीद जताई है कि बीजेपी अपनी रणनीतियों में सुधार करेगी।
इस बयानी वार से साफ है कि बीजेपी के भीतर एक गहरा असंतोष बढ़ता जा रहा है, और संजय निषाद इसका विरोध कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या बीजेपी इस असंतोष को सुलझा पाती है या यह मामला और गंभीर हो जाएगा।