संसद का शीतकालीन सत्र 2024 में एक अप्रत्याशित घटना घटी थी, जब राज्यसभा कक्ष में 500 रुपये के नोटों की एक गड्डी पाई गई। यह घटना उस समय सुर्खियों में आई थी, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी की सीट पर यह गड्डी मिली थी। इस घटना के बाद से संसद में हंगामा मच गया था और विपक्ष और सत्तारूढ़ गठबंधन के सांसदों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। अब, लगभग एक महीने बाद, उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस घटना पर चिंता जताई है।
धनखड़ ने क्यों जताया दुख?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को एक पुस्तक के विमोचन समारोह के दौरान इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना को लगभग एक महीने हो चुका है, लेकिन अभी तक कोई भी सांसद उस पैसे की गड्डी का दावा करने के लिए सामने नहीं आया है। उन्होंने इसे नैतिकता के लिहाज से एक गंभीर चुनौती बताया और कहा कि यह किसी भी सभ्य लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक स्थिति है। उनका मानना था कि इस घटना ने राज्यसभा की गरिमा को प्रभावित किया है और यह नैतिक मानकों पर सवाल उठाती है।
धनखड़ ने कहा, “यह हमारे नैतिक मानकों के लिए एक सामूहिक चुनौती है।” उनका यह बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि राज्यसभा जैसे उच्च सदन में ऐसे मुद्दों का उठना लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संसद की कार्यवाही के लिए हानिकारक हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में अब तक कोई भी सांसद अपना दावा नहीं कर रहा है, जो यह बताता है कि सबकुछ सही नहीं है।
अभिषेक सिंघवी ने क्या कहा था?
यह घटनाक्रम 6 दिसंबर, 2024 को हुआ था, जब राज्यसभा में एक सीट से 500 रुपये के नोटों की गड्डी मिली थी। यह गड्डी कांग्रेस सांसद अभिषेक सिंघवी के लिए आवंटित सीट से पाई गई थी। जब यह गड्डी मिली, तो यह तुरंत विपक्षी सांसदों और सत्ता पक्ष के सांसदों के बीच आरोपों की झड़ी का कारण बन गई। विपक्ष ने इसे सुरक्षा चूक बताते हुए मामले की जांच की मांग की थी, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों ने इसे विपक्ष का एक नया शिगूफा करार दिया था।
अभिषेक सिंघवी ने तुरंत एक बयान जारी कर इस घटना को सुरक्षा में चूक माना था और इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। उनका कहना था कि राज्यसभा की सुरक्षा व्यवस्था में कोई बड़ी चूक हुई है और यह एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने संसद की सुरक्षा एजेंसियों से मामले की जांच की मांग की थी ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह गड्डी वहां कैसे आई और क्या इसके पीछे किसी साजिश का हाथ था।
संसद का कार्य और नैतिकता
धनखड़ ने अपने बयान में यह भी कहा कि संसद का काम केवल एक शोरगुल का अड्डा नहीं होना चाहिए। यह एक ऐसा मंच है जहां सरकार से जवाबदेही ली जाती है और जहां विचार-विमर्श, संवाद और बहस के माध्यम से देश की नीतियों पर चर्चा होती है। उन्होंने यह कहा कि जब संसद निष्क्रिय हो जाती है या व्यवधानों का शिकार हो जाती है, तो जवाबदेही की प्रक्रिया प्रभावित होती है। इस कारण से, राज्यसभा और संसद को सक्रिय और प्रभावी बनाए रखने की आवश्यकता है।
धनखड़ ने सांसदों से अपील की कि वे अपनी जिम्मेदारियों को समझें और संसद को प्रभावी ढंग से चलाने में मदद करें। उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की सफलता का मूल तत्व यही है कि संसद काम करे, बहस हो, और पारदर्शिता के साथ सरकार को जवाबदेह ठहराया जाए।
भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली पर गर्व
धनखड़ ने अपनी बातों में यह भी कहा कि भारत को अपने लोकतंत्र पर गर्व है, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे पुराने और सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक है। उन्होंने यह बताते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी अन्य देश में संविधान द्वारा संरचित ऐसा लोकतंत्र नहीं है जैसा भारत में है। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था में विविधता और चुनाव प्रक्रिया की मजबूती एक मिसाल है।
विकास की ओर अग्रसर होता भारत
धनखड़ ने यह भी कहा कि भारत पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व विकास की ओर बढ़ा है। उन्होंने भारत की योजनाओं का जिक्र किया, जैसे बैंकिंग समावेशन, गांवों में शौचालय, गैस कनेक्शन, किफायती आवास, सड़क संपर्क, स्कूली शिक्षा, पीने योग्य पानी और डिजिटलीकरण के द्वारा पारदर्शी और जवाबदेह तंत्र की दिशा में किए गए प्रयासों को सराहा। उनका मानना था कि ये सभी पहलें भारत के विकास की कहानी हैं, और अगले कुछ वर्षों में लोग और अधिक विकास की उम्मीद करेंगे।
उन्होंने यह कहा कि सांसदों को इस आकांक्षापूर्ण इच्छा को ध्यान में रखते हुए नीतियों पर काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद प्रभावी रूप से कार्य करे ताकि विकास की राह में कोई रुकावट न आए।