मकर संक्रांति के मौके पर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगाई। मंगलवार को आयोजित इस पावन अवसर पर लगभग 2.50 करोड़ से अधिक लोग संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाने पहुंचे। मेला प्रशासन ने सुबह 3 बजे से लेकर शाम 3 बजे तक संगम में डुबकी लगाने वालों का आंकड़ा जारी किया है, जिसमें 2.50 करोड़ श्रद्धालुओं का दावा किया गया है। इसके बाद शाम तक और 50 लाख लोगों के डुबकी लगाने की उम्मीद जताई जा रही है।
मकर संक्रांति पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
हर साल की तरह इस बार भी मकर संक्रांति के अवसर पर प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान स्नान पर्व का आयोजन किया गया। इस दिन को लेकर श्रद्धालुओं में गजब का उत्साह देखा गया। संगम में स्नान का महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि इसे पुण्यकाल माना जाता है और मकर संक्रांति का दिन विशेष रूप से शुभ होता है। इस दिन विशेष तौर पर सभी 13 अखाड़ों के साधु-संतों ने अमृत स्नान किया और फिर आम श्रद्धालुओं के लिए भी संगम में डुबकी लगाने का अवसर दिया गया।
सबसे पहले अमृत स्नान करने पहुंचे अखाड़े
इस दिन सबसे पहले सभी अखाड़ों के साधु-संतों ने अमृत स्नान किया। पहले संन्यासी अखाड़ों के साधु-संतों ने विशेष रूप से स्नान किया। इस दौरान श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु अमृत स्नान के लिए संगम पहुंचे। इसके बाद श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने भी इस पवित्र अवसर पर स्नान किया और हर हर महादेव के नारे लगाते हुए अपनी आस्था व्यक्त की।
महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है, और जब 12 पूर्ण कुंभ पूरे होते हैं, तो 144 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है। यह एक ऐसा अवसर है, जब संगम में डुबकी लगाने का सौभाग्य केवल चुनिंदा लोगों को ही मिलता है।
स्नान के बाद संतों ने जताई आस्था
महानिर्वाणी अखाड़े के 68 महामंडलेश्वर और हजारों साधु संतों ने इस दिन संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी के नेतृत्व में तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने भी स्नान किया। उनके साथ अखाड़ों के ध्वज और आराध्य देवता कार्तिकेय स्वामी और सूर्य नारायण की पालकी भी थी।
वहीं, रथ पर सवार होकर निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने भी अमृत स्नान किया। इस दिन का महत्व इस कदर था कि निरंजनी अखाड़े के 35 महामंडलेश्वर और हजारों की संख्या में नागा साधुओं ने भी संगम में डुबकी लगाई। खास बात यह रही कि इस दिन इस्कॉन मंदिर की साध्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी अमृत स्नान किया।
जूना और किन्नर अखाड़े का स्नान
इसके बाद जूना अखाड़ा और किन्नर अखाड़े के साधु संतों ने भी संगम में डुबकी लगाई। जूना अखाड़ा के बाद तीन बैरागी अखाड़े – श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े के साधु संतों ने संगम में स्नान किया। इसके बाद उदासीन अखाड़े के साधु संतों ने भी इस पवित्र अवसर पर स्नान किया।
सबसे अंत में श्री पंचायती निर्मल अखाड़े के साधु संतों ने संगम में डुबकी लगाई। इस तरह पूरे दिनभर लाखों श्रद्धालु संगम के पवित्र जल में स्नान करने पहुंचे।
मकर संक्रांति पर पुण्य का अवसर
मकर संक्रांति का पर्व हर साल लोगों के लिए बहुत खास होता है। यह वह दिन होता है जब सूर्य उत्तरायण होते हैं और लोग इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ के जरिए पुण्य अर्जित करते हैं। प्रयागराज में इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह महाकुंभ का हिस्सा है और हर 12 साल में होने वाले इस आयोजन में लाखों श्रद्धालु आकर पवित्र स्नान करते हैं।
इस बार मकर संक्रांति पर संगम में स्नान करने वालों की संख्या ने हर किसी को चौंका दिया है। 2.50 करोड़ से अधिक लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं और यह आंकड़ा अभी भी बढ़ रहा है। मेला प्रशासन के मुताबिक, इस बार महाकुंभ में स्नान करने वालों की संख्या रिकॉर्ड तोड़ हो सकती है।
संगम में डुबकी और उसका महत्व
संगम में स्नान करने के बारे में कहा जाता है कि इससे पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से मकर संक्रांति के दिन संगम में स्नान करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और भाग्य जागृत होता है। इसी वजह से हर साल मकर संक्रांति के दिन प्रयागराज में लाखों लोग जुटते हैं, जो इस पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।