महाकुंभ 2025 का आयोजन 13 जनवरी से शुरू हो चुका है और अब तक लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। इस साल की महाकुंभ में एक बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है, करीब 40 करोड़ लोग इस बार कुंभ में हिस्सा ले सकते हैं। इस महाकुंभ से जुड़ी एक खास खबर यह है कि एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स का एक हाथ से लिखा पत्र हाल ही में नीलाम हुआ है और उसे 4.32 करोड़ रुपये में खरीदा गया। यह पत्र स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त टिम ब्राउन को लिखा था, जिसमें उन्होंने कुंभ मेले के प्रति अपनी आकर्षण और उसमें भाग लेने की इच्छा व्यक्त की थी। आइए जानते हैं इस पत्र में जॉब्स ने क्या लिखा था और इस पत्र का नीलाम होना क्यों खास है।
स्टीव जॉब्स का पत्र: एक दुर्लभ झलक
स्टीव जॉब्स के इस पत्र का नीलामी में बिकना इस लिहाज से बहुत खास है कि यह उनके जीवन के एक बहुत ही निजी और संवेदनशील पहलू को दर्शाता है। इस पत्र में जॉब्स ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में लिखा था। पत्र के अंत में उन्होंने खुद को ‘शांति’ की कामना करते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त किया था। यह पत्र एप्पल के जन्म से दो साल पहले, 19 साल की उम्र में लिखा गया था। जॉब्स ने अपने बचपन के दोस्त टिम ब्राउन को यह पत्र लिखा था, जो अपने जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर थे।
जॉब्स ने पत्र में लिखा था कि वे कुंभ मेले में भाग लेने के लिए भारत जाना चाहते थे, जो अप्रैल में होने वाला था। उन्होंने कहा था, “मैं मार्च में भारत जाने का सोच रहा हूं, लेकिन अब तक निश्चित नहीं हूं।” इससे यह साफ जाहिर होता है कि वे हिंदू धर्म के प्रति गहरी रुचि रखते थे और आध्यात्मिकता के एक नए अनुभव के लिए भारत जाने का विचार कर रहे थे। पत्र में उनका इमोशनल पक्ष भी नजर आता है, जिसमें उन्होंने यह बताया था कि वे कई बार रो चुके थे और इस यात्रा को लेकर उत्सुक थे। पत्र में जॉब्स ने अपनी भावनाओं को काव्यात्मक रूप से व्यक्त किया था, जो उनकी सोच और मानसिक स्थिति को स्पष्ट करता है।
स्टीव जॉब्स की आध्यात्मिक यात्रा और कुंभ मेले के प्रति आकर्षण
स्टीव जॉब्स का जीवन हमेशा से एक रहस्यमय यात्रा रही है। उनकी आध्यात्मिकता और जीवन के प्रति गहरी समझ ने उन्हें दुनिया के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक बना दिया था। वे जीवन के सरलता और गहरे पहलुओं को समझने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। कुंभ मेला, जो भारत के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, उनके लिए एक ऐसे आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक था, जहां वह खुद को एक नई दिशा में खोज सकते थे। यही कारण था कि उन्होंने टिम ब्राउन को पत्र लिखते हुए इस आयोजन में भाग लेने की इच्छा जताई थी।
स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी इस समय महाकुंभ में शामिल हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, वे अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद गिरि से मार्गदर्शन प्राप्त कर रही हैं और विभिन्न आध्यात्मिक प्रथाओं जैसे ध्यान, क्रिया योग और प्राणायाम में भाग ले रही हैं। ऐसा माना जा रहा है कि लॉरेन महाकुंभ में अपने पति की इच्छाओं को पूरा करने के लिए पहुंची हैं, क्योंकि स्टीव जॉब्स ने अपनी जिंदगी में इस आध्यात्मिक अनुभव का बहुत महत्व दिया था।
लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने हाल ही में 40 लोगों के समूह के साथ प्रयागराज पहुंचकर कुंभ में भाग लिया है। हालांकि, भारी भीड़ के कारण उन्हें कुछ एलर्जी की समस्याएं हो गईं, जिसके चलते वे मकर संक्रांति के दिन संगम में डुबकी नहीं लगा सकीं। बावजूद इसके, वह अन्य आध्यात्मिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं।
पत्र का नीलामी में बिकना: इतिहास का हिस्सा बनना
स्टीव जॉब्स द्वारा लिखा गया यह पत्र न केवल उनके जीवन के एक महत्वपूर्ण क्षण को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि उनका व्यक्तित्व कितना गहरा और जटिल था। पत्र का नीलामी में बिकना एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि यह स्टीव जॉब्स का पहला व्यक्तिगत पत्र था, जो इस तरह से सार्वजनिक रूप से नीलाम हुआ। इस पत्र की नीलामी की कीमत 500,312.50 अमेरिकी डॉलर (लगभग 4.32 करोड़ रुपये) रही, जो इसकी दुर्लभता और स्टीव जॉब्स के व्यक्तित्व के महत्व को दर्शाता है।
यह पत्र स्टीव जॉब्स के जीवन के एक ऐसे पहलू को उजागर करता है, जिसे शायद बहुत कम लोग जानते होंगे। इस पत्र में उनकी आध्यात्मिकता और उनकी गहरी सोच को समझा जा सकता है। यह एक अद्भुत दस्तावेज है, जो न केवल स्टीव जॉब्स के जीवन को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है, बल्कि यह भी बताता है कि वह दुनिया से कुछ अलग और गहरे स्तर पर जुड़ने की कोशिश कर रहे थे।