कांग्रेस नेता राहुल गांधी एक बार फिर भाजपा के निशाने पर हैं। हाल ही में, उन्होंने एक जनसभा में बीजेपी, आरएसएस और इंडियन स्टेट के खिलाफ बयान दिया था, जो पार्टी के नेताओं के गुस्से का कारण बन गया। उनके इस बयान के बाद बीजेपी के कई नेताओं ने न केवल उनके बयान की आलोचना की, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी सवाल उठा दिए। इसमें सबसे कड़ी प्रतिक्रिया केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की आई, जिन्होंने राहुल गांधी को अपनी “मेंटल स्टेबिलिटी चेक करने” की सलाह दी।
आइए जानते हैं पूरा मामला और क्यों यह बयान इतना विवादित हो गया।
राहुल गांधी का विवादित बयान
राहुल गांधी का बयान तब आया, जब वे कांग्रेस के नए मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने कहा, “यह मत सोचिए कि हम निष्पक्ष लड़ाई लड़ रहे हैं। इसमें कोई निष्पक्षता नहीं है। अगर आप यह मानते हैं कि हम भाजपा या आरएसएस से लड़ रहे हैं, तो आप नहीं समझ पाए हैं कि क्या हो रहा है। भाजपा और आरएसएस ने हमारे देश के हर संस्थान पर कब्जा कर लिया है, और अब हम केवल इन दोनों से नहीं, बल्कि इंडियन स्टेट से भी लड़ रहे हैं।”
राहुल गांधी के इस बयान में भारत सरकार और उसके संस्थानों के खिलाफ प्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाया गया था। उनकी इस टिप्पणी ने न केवल भाजपा के नेताओं को नाराज किया, बल्कि कई लोगों ने इसे भारत के खिलाफ एक खुली चुनौती भी माना।
बीजेपी की कड़ी प्रतिक्रिया
बीजेपी के नेताओं ने राहुल गांधी के बयान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने तो उनकी मानसिक स्थिति पर ही सवाल उठा दिया। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को अपनी मेंटल स्टेबिलिटी चेक करानी चाहिए।” उनका यह बयान सीधे तौर पर राहुल गांधी की मानसिक स्थिति पर सवाल खड़ा कर रहा था, जो अब राजनीति में एक नई बहस का कारण बन गया है।
बीजेपी के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल गांधी के बयान पर कहा, “राहुल गांधी ने अब भारतीय राज व्यवस्था के खिलाफ खुली लड़ाई का ऐलान कर दिया है। यह सीधे जॉर्ज सोरोस की प्लेबुक से बाहर है।” यह बयान उस समय आया, जब राहुल गांधी के इस बयान का एक शॉर्ट वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था।
गौरव भाटिया का बयान
बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी का यह बयान भारत के खिलाफ है और इसने भारतीय जनता को आहत किया है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं, और उन्होंने कहा कि हम भारत के खिलाफ लड़ रहे हैं। यह बयान भारतीय संप्रभुता के लिए एक बड़ा झटका है और यह चिंता का विषय है।”
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राहुल गांधी के बयान की आलोचना करते हुए कहा, “अब और छिपा नहीं है। कांग्रेस का गंदा सच उनके अपने नेता ने बेनकाब कर दिया है। मैं राहुल गांधी की आलोचना करता हूं कि उन्होंने यह बात साफ-साफ कह दी। अब पूरा देश जानता है कि उनकी राजनीति किस दिशा में जा रही है।”
कांग्रेस का पक्ष
कांग्रेस की ओर से इस बयान का कोई सीधा जवाब नहीं आया है, लेकिन पार्टी ने हमेशा राहुल गांधी के बयानों को देशहित में बताया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा और आरएसएस देश के संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे हैं और राहुल गांधी की ये टिप्पणियां इसी संदर्भ में हैं। पार्टी का कहना है कि राहुल गांधी ने यह बात देश के लोकतंत्र और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उठाई थी।
राहुल गांधी के बयान की राजनीतिक अहमियत
राहुल गांधी का यह बयान 2024 के आम चुनावों की पृष्ठभूमि में बहुत अहम हो जाता है। उनकी यह टिप्पणी सीधे तौर पर भाजपा और आरएसएस के खिलाफ थी, और इसे एक राजनीतिक स्टेटमेंट माना जा सकता है। राहुल गांधी ने जिस तरह से भारत के संस्थानों पर भाजपा और आरएसएस के कब्जे का आरोप लगाया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी पार्टी आगामी चुनावों में इन मुद्दों को प्रमुखता से उठाने वाली है।
इस बयान को लेकर एक तरफ जहां भाजपा ने इसे देशद्रोह से जोड़ दिया है, वहीं कांग्रेस इसे लोकतंत्र की रक्षा के लिए जरूरी एक आवाज के रूप में देख रही है। राजनीतिक हलकों में यह बहस छिड़ी हुई है कि क्या राहुल गांधी का यह बयान लोकतंत्र की रक्षा के लिए था या फिर एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा था?
क्या यह बयान राहुल गांधी के लिए भारी पड़ेगा?
यह सवाल अब कई लोगों के जहन में है कि क्या राहुल गांधी का यह बयान उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा, या फिर यह उनका गुस्से और आलोचनाओं का कारण बनेगा। भाजपा ने उनके बयान को पूरी तरह से खारिज किया है और इसे भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ बताया है, जबकि कांग्रेस इसे भाजपा और आरएसएस के खिलाफ एक सही कदम मान रही है।
बहरहाल, यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी का यह बयान आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इसके राजनीतिक नतीजे क्या होते हैं और जनता इस मुद्दे पर क्या प्रतिक्रिया देती है।