दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजधानी की कई सीटों पर चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। इनमें से एक सीट है कालकाजी, जहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की करीबी सहयोगी और दिल्ली की मौजूदा शिक्षा मंत्री आतिशी विधायक हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में आतिशी ने इस सीट पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरते हुए बीजेपी को धूल चटाई थी, लेकिन इस बार उनके सामने बीजेपी ने एक कड़ा प्रतिद्वंदी उतारा है – पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी।
आखिर इस चुनाव में इस सीट पर क्या नया होने वाला है, और क्या आतिशी इस बार भी बीजेपी के बिधूड़ी को मात दे पाएंगी? आइए जानते हैं पूरी कहानी।
कालकाजी सीट का इतिहास
कालकाजी विधानसभा सीट का नाम देवी काली के प्रसिद्ध मंदिर के नाम पर रखा गया है। यह मंदिर दक्षिण दिल्ली के नेहरू प्लेस इलाके में स्थित है और यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी हुई है। कालकाजी की सीट का चुनावी इतिहास भी काफी दिलचस्प रहा है। एक वक्त था जब कांग्रेस का इस सीट पर दबदबा था। 2013 में आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रवेश के बाद कांग्रेस का प्रभाव यहां से खत्म हो गया।
2008 के परिसीमन के बाद इस सीट पर नए सिरे से चुनाव हुए थे। 1993 में बीजेपी की पूर्णिमा सेठी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन उसके बाद कांग्रेस के सुभाष चोपड़ा ने तीन चुनावों तक लगातार जीत हासिल की। 2013 में अकाली दल के हरमीत सिंह कालका ने जीत दर्ज की थी, लेकिन 2015 में आम आदमी पार्टी के अवतार सिंह ने यह सीट अपने नाम की। 2020 में आतिशी ने इस सीट पर बीजेपी के धरमवीर को हराया और दूसरी बार विधायक चुनी गईं।
2020 में हुआ क्या था?
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार आतिशी को यहां से जबरदस्त जीत मिली थी। उन्होंने बीजेपी के धरमवीर सिंह को 11,393 वोटों के अंतर से हराया। आतिशी को कुल 55,897 वोट मिले थे, जबकि धरमवीर को 44,504 वोट ही मिल पाए थे। कांग्रेस की उम्मीदवार शिवानी चोपड़ा को सिर्फ 4,965 वोट मिले थे। इस चुनावी नतीजे ने आम आदमी पार्टी की पकड़ को और मजबूत किया था, लेकिन अब 2025 के चुनाव में मुकाबला और भी कड़ा होने वाला है।
इस बार कौन-कौन हैं मैदान में?
इस बार कालकाजी सीट पर मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की करीबी सहयोगी आतिशी, जो 2020 में शानदार जीत हासिल कर चुकी हैं, एक बार फिर से इस सीट से चुनावी मैदान में हैं। इस बार बीजेपी ने उनसे मुकाबला करने के लिए पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को टिकट दिया है। बिधूड़ी लंबे समय से बीजेपी के लिए सक्रिय रहे हैं और उनका नाम दिल्ली की राजनीति में एक जाना-माना नाम है।
कांग्रेस ने इस बार अपनी पार्टी की तरफ से अलका लांबा को टिकट दिया है, जो दिल्ली की राजनीति में पहले भी सक्रिय रही हैं। हालांकि, उनके मुकाबले में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ टक्कर लेना एक चुनौती हो सकती है।
कालकाजी की समस्याएं
कालकाजी के निवासी कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जो चुनावी मुद्दों के रूप में उभर सकते हैं। यहां की सबसे बड़ी समस्या टूटी-फूटी सड़कें हैं, जिनकी वजह से सड़क हादसों की संख्या बढ़ गई है। इस क्षेत्र में पानी की समस्या भी बनी हुई है, जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, आवारा पशुओं की समस्या भी यहां आम है।
लोगों का कहना है कि सरकार ने शेल्टर होम बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक इस पर कोई काम नहीं हुआ है। ये समस्याएं इस चुनाव में एक अहम मुद्दा बन सकती हैं, क्योंकि मतदाता अपने नेताओं से इन समस्याओं का समाधान चाहते हैं।
जातिगत समीकरण
कालकाजी की सीट पर जातिगत समीकरण भी अहम हैं। यहां की 40 फीसदी आबादी झुग्गी-झोपड़ी में रहती है, जो चुनावी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, 25 फीसदी पंजाबी, 22 फीसदी ओबीसी, 10 फीसदी ब्राह्मण, 9 फीसदी वैश्य और 15 फीसदी दलित समुदाय के लोग इस क्षेत्र में रहते हैं। मुस्लिमों की आबादी लगभग 6 फीसदी है। इन जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीतियां बनाई जा रही हैं, क्योंकि विभिन्न समुदायों के मुद्दे इस चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
क्या इस बार बिधूड़ी को टक्कर दे पाएंगी आतिशी?
इस बार, बीजेपी ने आतिशी को कड़ी टक्कर देने के लिए पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उतारा है। बिधूड़ी का चुनावी अनुभव और बीजेपी का समर्थन उनके पक्ष में जा सकता है, लेकिन आम आदमी पार्टी के पास अपनी मजबूत संगठन और कार्यों के कारण एक मज़बूत आधार है।
आतिशी ने दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में कई सुधार किए हैं, और उनका नाम भी काफी लोकप्रिय है। वहीं, बिधूड़ी की बीजेपी में मजबूत स्थिति और उनकी छवि भी दिल्लीवासियों में एक प्रभाव छोड़ सकती है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि इस बार कौन जीत दर्ज करेगा, लेकिन दोनों पक्षों के बीच मुकाबला कड़ा होने की संभावना है।
क्या होगा इस सीट का भविष्य?
कालकाजी सीट पर यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण होगा। 2020 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन बीजेपी भी इस बार अपनी पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार है। इस सीट पर जातिगत समीकरण, विकास कार्य और स्थानीय समस्याएं चुनावी फैसले को प्रभावित कर सकती हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या आम आदमी पार्टी अपनी जीत की लकीर को बरकरार रख पाएगी, या फिर बीजेपी का मजबूत प्रतिद्वंदी उन्हें चुनौती देगा।