भारत और चीन के रिश्ते सुधरते नजर आ रहे हैं, एक महीने पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के बीजिंग दौरे के बाद अब विदेश सचिव विक्रम मिसरी का चीन यात्रा पर जाने का वक्त आ चुका है। विदेश सचिव की ये यात्रा 26 जनवरी से शुरू होगी और वह चीन में दो दिन रहेंगे।
चीन यात्रा पर रवाना होंगे विदेश सचिव विक्रम मिसरी
भारत-चीन संबंधों में एक नया मोड़ आता दिख रहा है। पिछले कुछ समय में दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार हुआ है। अब भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। यह यात्रा 26 जनवरी से शुरू होगी, और इसके दौरान वह अपने चीनी समकक्ष के साथ सीमा मुद्दों और कई अन्य विषयों पर चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय ने इस बारे में आधिकारिक बयान जारी किया है।
पिछले महीने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था, और अब विदेश सचिव विक्रम मिसरी का यह दौरा दोनों देशों के बीच जारी संवाद और समझदारी को मजबूत करने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि विक्रम मिसरी और चीनी विदेश सचिव के बीच सीमा विवाद, आर्थिक सहयोग और आपसी संबंधों पर चर्चा होगी।
सीमा पर शांति के लिए बातचीत
विदेश सचिव विक्रम मिसरी और उनके चीनी समकक्ष के बीच होने वाली बातचीत में कई अहम मुद्दे होंगे। खासकर पूर्वी लद्दाख के इलाके में तनाव कम करने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के प्रयासों को लेकर भी विचार-विमर्श होगा। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर विचार विमर्श की जरूरत को महसूस किया गया है, और भारत का हमेशा यह कहना रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ संबंधों में कोई ठोस प्रगति संभव नहीं है।
विदेश मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया कि भारतीय विदेश सचिव और चीनी अधिकारियों के बीच इस दौरान आर्थिक सहयोग, राजनीतिक रिश्तों और दोनों देशों के बीच लोगों के आपसी संबंधों पर भी गहन चर्चा होगी।
डोभाल-वांग बैठक में हुआ था यह फैसला
भारत और चीन के रिश्तों में सुधार की शुरुआत तब हुई जब नवंबर 2023 में NSA डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा विवाद समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। डोभाल और वांग की बैठक में सबसे अहम विषय था कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का मुद्दा। इसके अलावा नदी डेटा साझा करने, सीमा व्यापार को बढ़ावा देने और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया गया था।
भारत हमेशा यह चाहता है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति स्थापित होने के बाद ही चीन के साथ रिश्ते सामान्य हो सकते हैं, और इस दिशा में दोनों देशों के बीच की बातचीत को गति मिलती जा रही है।
सीमा पर गश्त फिर से शुरू
एक बड़ी खबर यह भी आई कि भारत और चीन ने 23 अक्टूबर 2023 को कजान में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक में डेमचोक और देपसांग इलाकों में गश्त फिर से शुरू करने पर सहमति जताई। इसके बाद दोनों देशों के सैनिकों ने इन इलाकों में गश्त की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया। इस निर्णय के बाद भारत-चीन रिश्तों में एक सकारात्मक बदलाव आया है, और दोनों देशों के बीच आपसी समझ बढ़ी है।
इससे पहले करीब साढ़े चार साल तक इन क्षेत्रों में गश्त रुक गई थी, लेकिन अब दोनों देशों के सैनिकों ने मिलकर इन इलाकों में गश्त फिर से शुरू कर दी है।
उम्मीदें और चुनौतियाँ
भारत और चीन के रिश्ते फिलहाल सुधर रहे हैं, लेकिन अब भी दोनों देशों के बीच कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर चर्चा जारी रहेगी। खासकर लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव की स्थिति और कैलाश मानसरोवर यात्रा को लेकर पूरी स्थिति को सामान्य बनाने में समय लगेगा। इसके अलावा चीन के साथ भारत के आर्थिक रिश्तों में भी गति लाने की जरूरत है।
भारत और चीन के बीच यह संबंधों में सुधार कोई आसान प्रक्रिया नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच अब खुली बातचीत और आपसी समझ की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि दोनों देशों के बीच विश्वास की बहाली के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है, और आने वाले दिनों में इन रिश्तों में और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।