दिल्ली चुनाव: राहुल गांधी बीजेपी को क्यों निशाने पर ले रहे हैं? जानिए रणनीति की वजह

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी माहौल गरम है। 5 फरवरी को होने वाले चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी, लेकिन कांग्रेस इस बार खास रणनीति के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है। राहुल गांधी लगातार दिल्ली में रैलियां कर रहे हैं और इन रैलियों में उनका निशाना बीजेपी पर ही ज्यादा दिख रहा है। जबकि आम आदमी पार्टी पर कम हमले किए जा रहे हैं, जो पहले के चुनावों में देखने को नहीं मिला था। आइए समझते हैं राहुल गांधी का यह सियासी दांव क्यों खास है।

कांग्रेस की चुनावी रणनीति में बदलाव

राहुल गांधी की दिल्ली में सक्रियता और बीजेपी पर तीखा हमला ये साफ कर रहा है कि कांग्रेस इस बार न सिर्फ अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है, बल्कि दिल्ली में अपने पुराने वोटबैंक को वापस लाने की कोशिश भी कर रही है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को हराने के लिए आम आदमी पार्टी के साथ संघर्ष में ज्यादा हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी लगातार रैलियां कर रही है और अपनी उपस्थिति को महसूस कराने की कोशिश कर रही है।

आम आदमी पार्टी पर कम हमला, बीजेपी पर ज्यादा निशाना

राहुल गांधी की रैलियों में अब तक एक खास बात देखने को मिली है: वह आम आदमी पार्टी पर कम हमला कर रहे हैं, जबकि बीजेपी पर उनका हमला तीव्र हो गया है। पिछले कुछ समय से राहुल गांधी बीजेपी की विचारधारा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं कि बीजेपी नफरत और हिंसा फैलाती है। उनकी बातें बीजेपी के खिलाफ इतनी कठोर हैं कि आम आदमी पार्टी कहीं नजर नहीं आती। यह राहुल गांधी का नया दृष्टिकोण हो सकता है, जो इस बार दिल्ली में कांग्रेस के वोटबैंक को वापस लाने के लिए जरूरी हो।

‘नफरत के खिलाफ मोहब्बत की दुकान’ की बात

राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली के बादली में आयोजित रैली में कहा कि वह बीजेपी के साथ कभी भी समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा को नफरत और हिंसा फैलाने वाली बताया और कहा कि कांग्रेस हमेशा मोहब्बत की दुकान खोलेगी, वहीं बीजेपी नफरत और डर का माहौल पैदा करती है। राहुल गांधी ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि वह नफरत के खिलाफ लड़ रहे थे, और आज भी उसी विचारधारा का पालन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जब लोग आपस में लड़ते हैं, तब मोदी सरकार देश की संपत्ति को अडाणी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों को सौंप देती है।

पीएम मोदी पर सीधा हमला

राहुल गांधी ने पीएम मोदी को भी निशाने पर लिया और कहा कि मोदी जी नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि लोग आपस में बंट जाएं और कमजोर हो जाएं। इस बयान का लक्ष्य साफ था – नरेंद्र मोदी की सरकार को और उसके नेतृत्व को चुनौती देना। राहुल ने यह भी जोड़ा कि मोदी की यह रणनीति देश के आर्थिक हालात को और भी बिगाड़ने के लिए है, जहां अमीर और गरीब के बीच का फासला बढ़ रहा है।

मुस्लिम वोटबैंक को साधने की कोशिश

राहुल गांधी का बीजेपी के खिलाफ बोलने के पीछे एक बड़ी वजह ये भी हो सकती है कि वह मुस्लिम वोटबैंक को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कांग्रेस को लगता है कि दिल्ली में मुस्लिम वोट इस बार आम आदमी पार्टी की ओर जा रहे हैं, खासकर सीलमपुर जैसे इलाकों में, जहां मुस्लिमों की बड़ी संख्या है। सीलमपुर में करीब 55 से 60 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं, और राहुल गांधी ने अपनी रैली की शुरुआत भी यहीं से की थी।

राहुल गांधी का मानना है कि अगर वह बीजेपी के खिलाफ जमकर बोलेंगे, तो मुस्लिम वोट उनकी ओर खिंच सकते हैं। 2015 और 2020 में कांग्रेस की रणनीति बीजेपी के खिलाफ ज्यादा नहीं थी, लेकिन इस बार राहुल गांधी ने सीधा मोर्चा बीजेपी के खिलाफ खोल दिया है। यह रणनीति कांग्रेस को उस वोटबैंक को वापस दिलाने में मदद कर सकती है जो आम आदमी पार्टी के पक्ष में जा रहा था।

राहुल की सख्त बयानबाजी

सीलमपुर में राहुल गांधी ने कहा, “हमने मणिपुर में जो देखा, वह दिल को झकझोर देने वाला था। हम ऐसा नहीं चाहते कि यह स्थिति दिल्ली या अन्य जगहों पर हो। हम एक ऐसा देश चाहते हैं जहां हम बिना डर के और स्वतंत्रता से जी सकें।” उनका यह बयान बीजेपी के शासन के तहत बढ़ रही हिंसा और नफरत को लेकर एक सवाल था।

राहुल गांधी की इस बयानबाजी में कहीं ना कहीं उन लोगों का भी संकेत था, जिनकी विचारधारा ने देश में नफरत का माहौल पैदा किया है। यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा संदेश था कि वह बीजेपी के खिलाफ खड़े होने का इरादा रखती है।

क्या है राहुल की असल रणनीति?

राहुल गांधी का यह सख्त रुख दरअसल एक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कांग्रेस इस बार दिल्ली में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए अपनी विचारधारा को और अधिक स्पष्ट रूप से प्रस्तुत कर रही है। उनका यह प्रयास बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत सियासी मोर्चा बनाने का है ताकि वे दिल्ली में अपनी पुरानी सियासी ताकत को फिर से हासिल कर सकें।

अगर हम देखें तो राहुल गांधी की यह रणनीति मुस्लिम वोटरों को अपनी तरफ खींचने की कोशिश है। इसके अलावा, वह इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि कांग्रेस समाज में नफरत और विभाजन के खिलाफ है, जबकि बीजेपी इससे बढ़ावा दे रही है। इस चुनावी माहौल में राहुल गांधी की यह रणनीति काफी असरदार साबित हो सकती है, लेकिन अब यह देखना होगा कि दिल्ली के मतदाता इसे किस रूप में स्वीकार करते हैं।

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