केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को OpenAI के सीईओ सैम आल्टमैन से मुलाकात की और इस दौरान भारत की एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) विकास क्षमता पर चर्चा की। उन्होंने भारत की इनोवेशन क्षमता को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत कम लागत में एआई के मॉडल तैयार करने की पूरी क्षमता रखता है। उन्होंने चंद्रयान-3 मिशन का उदाहरण देते हुए यह साबित किया कि जब हम सही दिशा में प्रयास करते हैं, तो दुनिया के सबसे कठिन मिशनों को भी कम खर्चे में पूरा कर सकते हैं। अब यही क्षमता एआई के क्षेत्र में भी भारत को एक नई दिशा दे सकती है।
कम लागत में चंद्रयान-3 की सफलता, अब एआई में भी वैसा ही कर सकते हैं
वैष्णव ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ने यह साबित कर दिया कि भारत बड़े और कठिन कार्यों को कम खर्च में अंजाम दे सकता है। भारत ने चंद्रमा तक यान भेजने के लिए महज 600 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि दूसरे देशों ने ऐसे मिशनों पर अरबों डॉलर खर्च किए थे। वैष्णव का कहना था, “यह सफलता यह साबित करती है कि जब हम सही दिशा में काम करते हैं, तो एआई जैसी तकनीक के क्षेत्र में भी हम कम लागत में उच्च मानक हासिल कर सकते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत के युवा उद्यमी, शोधकर्ता और स्टार्टअप्स इस दिशा में काम कर रहे हैं, और लागत को कम करने के साथ-साथ एआई के विकास में भी एक अहम भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं।” वैष्णव का यह बयान एआई में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, जहां कम लागत में ही उच्च गुणवत्ता के मॉडल बनाए जा सकते हैं।
OpenAI के सीईओ ने भारत की एआई क्षमता की सराहना की
OpenAI के सीईओ सैम आल्टमैन, जिन्होंने पहले भारत की एआई क्षमता पर संदेह जताया था, अब भारत को एआई क्रांति का एक अहम हिस्सा मानने लगे हैं। आल्टमैन का कहना था कि भारत के पास इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर इनोवेशन करने की क्षमता है, खासकर जब बात लागत घटाने की आती है। उन्होंने वैष्णव से मुलाकात के बाद ट्वीट किया, “हमने भारत में एआई के पूरे स्टैक को बनाने की रणनीति पर चर्चा की, जिसमें जीपीयू, मॉडल और ऐप्स शामिल हैं। हम भारत के साथ इन तीनों क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए तैयार हैं।”
आल्टमैन का यह बयान भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि इससे यह साफ होता है कि एआई के विकास में भारत का योगदान अब और बढ़ने वाला है।
भारत में एआई के लिए तैयार हो रहा है पूरा इकोसिस्टम
अश्विनी वैष्णव ने भारत के एआई विकास के लिए तैयार हो रहे इकोसिस्टम के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि भारत एआई के लिए पूरी इकोसिस्टम तैयार कर रहा है, जिसमें चिपसेट बनाना, कम लागत पर कंप्यूटिंग सुविधाएं उपलब्ध कराना और डेटा सेट पर काम करना शामिल है। इसके अलावा, भारतीय सरकार भारतीय स्टार्टअप्स को अत्याधुनिक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) वाले कंप्यूटर उपलब्ध कराने की योजना बना रही है, ताकि वे एआई मॉडल तैयार कर सकें।
वर्तमान में, भारतीय फर्मों को ये कंप्यूटर 6 डॉलर प्रति घंटे के हिसाब से उपलब्ध कराए जा रहे हैं, लेकिन सरकार इन्हें 1.6 डॉलर प्रति घंटे पर उपलब्ध कराने की योजना बना रही है। वैष्णव का मानना है कि अगर इस दिशा में सही तरीके से काम किया जाए, तो भारत एआई के विकास में वैश्विक नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है।
आल्टमैन का कहना है कि एआई की लागत इस साल 10 गुना कम होगी
OpenAI के सीईओ सैम आल्टमैन ने इस दौरान कहा कि एआई की इंटेलिजेंस यूनिट की लागत इस साल के अंत तक 10 गुना कम हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को इस बदलाव का पूरा लाभ उठाने का मौका मिलेगा, क्योंकि भारत में इनोवेशन की क्षमता बहुत अधिक है।
वैष्णव ने इस बात पर सहमति जताते हुए कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए एक बेहतरीन अवसर होगा। उन्होंने कहा, “इनोवेशन किसी भी हिस्से से आ सकता है, और भारत इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
भारत की एआई यात्रा के लिए एक नई शुरुआत
भारत ने तकनीकी और अंतरिक्ष में अपनी क्षमता को पहले ही साबित कर दिया है। अब एआई के क्षेत्र में भी यह देश अपनी तकनीकी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और OpenAI के सीईओ सैम आल्टमैन की मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत एआई के विकास में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
वैष्णव का यह मानना है कि भारत में एआई के विकास के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है, जिसमें स्टार्टअप्स, शोधकर्ता और सरकारी योजनाएं शामिल हैं। यदि यह इकोसिस्टम सही तरीके से काम करता है, तो भारत जल्द ही एआई के क्षेत्र में विश्व नेतृत्व की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।