दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार के बाद अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि अरविंद केजरीवाल की आगे की राजनीति क्या होगी? कभी प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने वाले केजरीवाल के हाथ में अब कोई संवैधानिक पद नहीं है। उनकी पार्टी, AAP, चुनावी मैदान में पराजित हुई है, और इस परिप्रेक्ष्य में केजरीवाल का भविष्य अब अनिश्चित नजर आ रहा है। दिल्ली की राजनीति में उनकी भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं, जबकि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी चुनाव हार गए हैं। इस हार के बावजूद, AAP अब आतिशी की जीत को अपनी सांत्वना मानते हुए आगे बढ़ने का रास्ता खोजने में जुटी हुई है। लेकिन अब सवाल ये है कि AAP का दिल्ली की राजनीति में भविष्य क्या होगा? क्या केजरीवाल की राह अब मुश्किलों से भरी हुई है?
पंजाब में नया मोड़ या राज्यसभा का रास्ता?
BJP के नेता दावा कर रहे हैं कि केजरीवाल अब पंजाब की ओर रुख कर सकते हैं, और वहां के मुख्यमंत्री भगवंत मान को हटाकर खुद मुख्यमंत्री बन सकते हैं। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसका कोई खास आधार नहीं है और यह संभावना बहुत कम है। इसके बावजूद, केजरीवाल के पास एक और विकल्प बचता है, जो है राज्यसभा में जाने का।
राज्यसभा में जाने का विकल्प फिलहाल दिल्ली से तो नहीं है, क्योंकि दिल्ली में 2030 में राज्यसभा चुनाव होंगे। लेकिन कहा जा रहा है कि केजरीवाल पंजाब से राज्यसभा के लिए चुनाव लड़ सकते हैं। पंजाब में AAP के पास पर्याप्त विधायक हैं, जो केजरीवाल की राज्यसभा में जीत को आसान बना सकते हैं। हालाँकि, पंजाब में राज्यसभा चुनाव 2028 में होंगे, तो इसका मतलब यह है कि केजरीवाल को इसके लिए और चार साल का इंतजार करना पड़ेगा।
AAP में संयोजक बने रहने का दबाव
अब तक, केजरीवाल के पास एक ही विकल्प बचता है – AAP का संयोजक बने रहना। हालांकि, इस पद पर भी तलवार लटक रही है, क्योंकि उनका पद भी कोर्ट के फैसले पर निर्भर कर सकता है। अभी तक केजरीवाल कथित शराब घोटाले में आरोपी हैं, और अगर कोर्ट में उनका दोष साबित होता है तो संयोजक का पद भी उनसे छिन सकता है। ऐसे में केजरीवाल के लिए राजनीति में अपनी जगह बनाना और बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
PM बनने का सपना टूटना, CM की कुर्सी भी गई हाथ से
अरविंद केजरीवाल का सपना कभी प्रधानमंत्री बनने का था। 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से पर्चा भरा था, लेकिन उन्हें वहां हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद, 2023 में ‘इंडिया गठबंधन’ के गठन के बाद, जब प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर चर्चा हो रही थी, तो AAP ने केजरीवाल का नाम आगे रखा था। पार्टी की प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने भी कहा था कि अगर उनसे पूछा जाए तो वे चाहेंगी कि केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनें।
दिल्ली चुनाव में भी, प्रचार के दौरान केजरीवाल ने यह स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर उनकी पार्टी जीती, तो वह दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री होंगे। इस पर आतिशी ने भी सहमति जताई थी और खुलकर उनका समर्थन किया था।
अब क्या करेंगे केजरीवाल?
हालांकि, दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के बाद, AAP ने यह घोषणा की है कि वे दिल्ली में अब एक सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाएंगे और जनता के बीच रहकर उनकी सेवा करते रहेंगे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या केजरीवाल अब अपनी राजनीति को फिर से तरोताजा कर पाएंगे या उनकी राजनीतिक पारी समाप्त होने की ओर बढ़ रही है? अब यह देखना होगा कि वे अगले कुछ सालों में अपनी राजनीतिक स्थिति को कैसे संभालते हैं और AAP के लिए किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं।