दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद पार्टी में अब एक नया सवाल उभर रहा है, जो बीजेपी के नेताओं को मुश्किल में डाल रहा है। सवाल यह है कि आखिर दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा? 70 घंटे से भी ज्यादा वक्त से बीजेपी इस मुद्दे पर माथापच्ची कर रही है और इसको लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं। वहीं, मणिपुर में भी कुछ ऐसा ही मंथन हो रहा है, क्योंकि वहां के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह ने अपना इस्तीफा दे दिया है। पार्टी अब मणिपुर के लिए भी नए मुख्यमंत्री की तलाश में जुटी हुई है।
मणिपुर में सीएम की तलाश, बिरेन सिंह का इस्तीफा
मणिपुर में हाल ही में सीएम एन. बिरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा देने का ऐलान किया। मणिपुर में लंबे समय से चल रही हिंसा और विरोध के कारण बिरेन सिंह विपक्ष के निशाने पर थे। आखिरकार उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे के बाद मणिपुर में बीजेपी को नए मुख्यमंत्री की तलाश शुरू करनी पड़ी है।
अब मणिपुर में मुख्यमंत्री बनने के लिए युमनाम खेमचंद सिंह और टी. विश्वजीत सिंह के नाम सबसे आगे चल रहे हैं। ये दोनों नेता पहले बिरेन सिंह के कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। खेमचंद सिंह मणिपुर विधानसभा के सदस्य रहे हैं और फिलहाल वह मणिपुर कैबिनेट में नगर प्रशासन, आवास और शहरी विकास (MAHUD) और शिक्षा मंत्री हैं। वहीं, टी. सत्यब्रत सिंह जो मणिपुर विधानसभा के स्पीकर हैं, उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में है।
केयरटेकर सीएम बने रहेंगे बिरेन सिंह, नई सरकार के गठन पर विचार
सूत्रों के मुताबिक, एन. बिरेन सिंह अब मणिपुर के केयरटेकर सीएम बने रहेंगे, जबकि पार्टी नए मुख्यमंत्री की तलाश कर रही है। बीजेपी मणिपुर में अपनी सरकार बनाने के लिए कुछ छोटे दलों के साथ गठबंधन की संभावनाएं भी तलाश रही है। अगर अगले 10 दिन में कोई सरकार का गठन नहीं हो पाता है तो मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
मणिपुर विधानसभा सत्र स्थगित, कांग्रेस ने किया था नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने का ऐलान
मणिपुर विधानसभा का सत्र 10 फरवरी से शुरू होने वाला था, लेकिन बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद इसे स्थगित कर दिया गया है। कांग्रेस ने पहले ही इस सत्र में मुख्यमंत्री के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस मोशन लाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। अब जब तक मणिपुर में नए मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं हो जाता, तब तक विधानसभा का काम ठप रहेगा।
दिल्ली में बीजेपी की नजर मुख्यमंत्री पद पर
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की शानदार जीत के बाद पार्टी के लिए अब अगला बड़ा सवाल है – दिल्ली का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? बीजेपी ने इस चुनाव में 48 सीटों पर जीत हासिल की है और 27 साल बाद दिल्ली में अपनी सत्ता वापस पाई है। चुनावी परिणाम से पहले, बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। अब जब बीजेपी दिल्ली में सरकार बनाने जा रही है, तो पार्टी को मुख्यमंत्री के लिए सशक्त और अनुभवी नेता की तलाश है।
सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि बीजेपी दिल्ली में किसी महिला नेता को मुख्यमंत्री बना सकती है। अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली को चौथी बार महिला मुख्यमंत्री मिल सकती है। इससे पहले सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित और आतिशी इस पद पर काबिज हो चुकी हैं।
बीजेपी के भीतर मुख्यमंत्री के लिए चर्चित नाम
दिल्ली में मुख्यमंत्री पद के लिए कई नेताओं के नामों की चर्चा हो रही है। पार्टी के अंदर कुछ ऐसे नाम सामने आ रहे हैं जो इस पद के लिए मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि, बीजेपी ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। पार्टी के अंदर कई वरिष्ठ नेताओं के नाम इस पद के लिए चर्चा में हैं।
दिल्ली में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत, 27 साल बाद वापसी
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत बेहद अहम है। 1998 के बाद से बीजेपी दिल्ली की सत्ता से बाहर थी, लेकिन अब उसने 27 साल बाद फिर से राजधानी की कमान हासिल की है। बीजेपी ने इस बार 70 विधानसभा सीटों में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि आम आदमी पार्टी को 22 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। कांग्रेस इस बार फिर से खाली हाथ रह गई है।
बीजेपी के लिए इस जीत का मतलब
बीजेपी की दिल्ली में यह जीत पार्टी के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह जीत केवल चुनावी परिणाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बीजेपी की संगठनात्मक ताकत और रणनीतिक दृष्टि का भी प्रतीक है। अब यह देखना होगा कि बीजेपी अपनी इस जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए किसे चुनती है और मणिपुर में नई सरकार की दिशा क्या होगी।