अयोध्या के राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का आज यानी 12 फरवरी को निधन हो गया । उन्हें 3 फरवरी को ब्रेन स्ट्रोक (मस्तिष्काघात) हुआ था, जिसके बाद उन्हें लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में भर्ती कराया गया था। उनका इलाज न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू में चल रहा था, लेकिन वह इस स्ट्रोक से उबर नहीं सके और आज उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
आचार्य सत्येंद्र दास, जिन्होंने राम मंदिर के मुख्य पुजारी के रूप में अपनी सेवाएं दीं, उनके निधन से न केवल अयोध्या, बल्कि देशभर में भक्ति और श्रद्धा का गहरा शोक है। उनका जीवन पूरी तरह से श्रीराम के प्रति अडिग श्रद्धा और उनके मंदिर की सेवा में समर्पित था।
स्ट्रोक के बाद बिगड़ी हालत
आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत 3 फरवरी को अचानक बिगड़ गई थी। उन्हें मस्तिष्काघात हुआ था और इस कारण उन्हें गंभीर हालत में एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया। अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप की समस्या भी थी, जो उनके स्वास्थ्य को और जटिल बना रही थी। उनका इलाज पिछले दो हफ्तों से लखनऊ के अस्पताल में चल रहा था, लेकिन अब वह इस दुनिया को अलविदा ले गए हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दी श्रद्धांजलि
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरी शोक संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “परम रामभक्त, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं सामाजिक व आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!”
अयोध्या का मंदिर और भक्तों का अपूरणीय क्षति
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन से राम मंदिर से जुड़े सभी भक्तों और श्रद्धालुओं में गहरा शोक है। वह कई दशकों से अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के प्रमुख पुजारी के रूप में कार्यरत थे और उनके मार्गदर्शन में लाखों भक्तों ने श्रीराम के मंदिर में पूजा अर्चना की। उनकी मृत्यु न केवल अयोध्या, बल्कि पूरे देश में धार्मिक और सामाजिक समुदाय के लिए एक बड़ा नुकसान है।
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का इतिहास और इसके निर्माण कार्य को देखते हुए, आचार्य सत्येंद्र दास का योगदान अतुलनीय था। वह राम मंदिर आंदोलन के भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे और उनके कार्यों ने अयोध्या में राम मंदिर की स्थापना की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मंदिर से जुड़ी उनकी भूमिका
आचार्य सत्येंद्र दास का जन्म 1939 में हुआ था और उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के प्रमुख पुजारी के रूप में कार्य करना शुरू किया था। उनका जीवन साधना, भक्ति और तपस्या से परिपूर्ण था। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के दौरान उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही थी। उन्होंने न केवल पूजा-पाठ में योगदान दिया, बल्कि समाज में धार्मिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा दिया।
राम मंदिर के निर्माण में उनका मार्गदर्शन और नेतृत्व अनमोल था, और उनके निधन से इस मंदिर से जुड़े सभी भक्तों को गहरा धक्का लगा है। राम मंदिर आंदोलन के प्रति उनकी निष्ठा और श्रद्धा उन्हें एक प्रेरणास्त्रोत बनाती है।
निधन के बाद श्रद्धांजलि अर्पित करने का सिलसिला जारी
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन के बाद श्रद्धांजलि अर्पित करने का सिलसिला जारी है। राम मंदिर में उनके द्वारा किए गए कार्यों और उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनकी कर्मभूमि अयोध्या और श्रीराम जन्मभूमि मंदिर हमेशा उनके आशीर्वाद से अभिभूत रहेगी।
उनकी उपस्थिति ने मंदिर को सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी मजबूती प्रदान की थी। उनका निधन एक ऐसी खामोशी छोड़ गया है, जिसे भर पाना असंभव है।