Wednesday, February 12, 2025

ममता बनर्जी को बंगाल के राज्यपाल का 11 करोड़ का मानहानि नोटिस, रडार में 3 और नेता

पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और राज्यपाल के बीच फिर से तनातनी बढ़ गई है। इस बार राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष, और दो अन्य विधायकों को मानहानि का नोटिस भेजा है। खास बात ये है कि राज्यपाल की तरफ से भेजे गए इस नोटिस में नेताओं से यह कहा गया है कि उन्होंने राज्यपाल का मानहानि की है, और अगर वे माफी नहीं मांगते तो उन्हें 11-11 करोड़ रुपए का मानहानि जुर्माना चुकाना पड़ेगा।

यह नोटिस तृणमूल कांग्रेस के नवनिर्वाचित विधायक सयंतिका बनर्जी और रैयत हुसैन सरकार को भेजा गया है। दरअसल, यह पहली बार है जब किसी राज्यपाल ने मुख्यमंत्री और विधायकों को मानहानि का नोटिस भेजा है, और इस नोटिस के बाद बंगाल की राजनीति में तूफान सा मच गया है।

राज्यपाल ने क्यों भेजा मानहानि का नोटिस?

मई 2024 में बंगाल की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इन उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस की सयंतिका बनर्जी और रैयत हुसैन सरकार ने जीत दर्ज की थी। दोनों ही विधायकों को शपथ दिलाने में परेशानी आई थी, क्योंकि राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को यह अधिकार नहीं दिया कि वे दोनों विधायकों को शपथ दिलाएं। राज्यपाल ने कहा कि दोनों विधायकों को शपथ डिप्टी स्पीकर से ही दिलवानी चाहिए।

इस बीच, इन दोनों विधायकों ने राजभवन जाकर शपथ लेने से इंकार कर दिया था, क्योंकि उनका कहना था कि राजभवन सुरक्षित नहीं है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी गंभीर टिप्पणियां की थीं। ममता का कहना था कि राजभवन में महिलाओं के लिए सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है। इसी बीच, कोलकाता हाई कोर्ट ने ममता से यह कहा था कि वह राजभवन पर ऐसी टिप्पणियां करने से बचें।

इन दोनों विधायकों द्वारा राज्यपाल पर लगाए गए आरोपों के बाद अब राज्यपाल ने इस मामले में मानहानि का नोटिस भेजा है।

क्या है नोटिस का मुख्य मुद्दा?

राज्यपाल की ओर से भेजे गए नोटिस में ये कहा गया है कि तृणमूल नेताओं द्वारा राज्यपाल पर की गई टिप्पणियां उनके सम्मान को नुकसान पहुंचाने वाली हैं, और इसके लिए वे जिम्मेदार होंगे। नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर ये नेता जल्द से जल्द माफी नहीं मांगते, तो उन्हें 11-11 करोड़ रुपये का जुर्माना देना होगा। इस नोटिस का जवाब देने के लिए इन नेताओं को एक निश्चित समय सीमा दी गई है।

11-11 करोड़ का जुर्माना कैसे बना चर्चा का विषय?

राज्यपाल द्वारा भेजे गए नोटिस में 11-11 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने की बात सामने आई है, लेकिन यह मामला और दिलचस्प इसलिए बन गया है, क्योंकि जिन नेताओं को यह नोटिस भेजा गया है, उनकी कुल संपत्ति इससे काफी कम है।

सयंतिका बनर्जी, जिनकी कुल संपत्ति महज 45 लाख रुपए है, वह बांग्ला फिल्म अभिनेत्री भी हैं। वहीं रैयत हुसैन सरकार की कुल संपत्ति 3 करोड़ रुपए है। ममता बनर्जी की कुल संपत्ति तो केवल 16 लाख रुपए बताई जाती है। हाल ही में ममता ने अपनी संपत्ति का खुलासा किया था।

हालांकि, सवाल यह उठता है कि अगर इन नेताओं के पास इतना पैसा नहीं है तो क्या वे इस नोटिस का भुगतान करेंगे? क्या यह सिर्फ राजनीतिक विवाद को और बढ़ाने का तरीका है?

राज्यपाल की प्रतिक्रिया पर सियासी बवाल

राज्यपाल सीवी आनंद बोस का यह कदम बंगाल में राजनीतिक तूफान ला सकता है। तृणमूल कांग्रेस ने इस नोटिस को अपनी राजनीतिक आज़ादी पर हमला मानते हुए इसे राज्यपाल द्वारा की गई एक गलत कार्रवाई बताया है। वहीं, भाजपा और अन्य विपक्षी दल राज्यपाल का समर्थन करते हुए तृणमूल कांग्रेस की आलोचना कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर दोनों पक्षों के बीच तीखी बयानबाजी हो रही है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेता इस नोटिस का जवाब देंगे और क्या राज्यपाल के साथ इस विवाद को हल करने के लिए कोई समाधान निकाला जाएगा।

राजनीति के नए मोर्चे पर ममता बनर्जी और राज्यपाल का आमना-सामना

राज्यपाल और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच तनातनी कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बार दोनों के बीच खींचतान हो चुकी है, लेकिन अब यह मामला एक नया मोड़ लेता हुआ नजर आ रहा है। 11-11 करोड़ के मानहानि नोटिस ने सियासत में तूल पकड़ लिया है, और दोनों पक्षों के समर्थक इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।

नोटिस की कानूनी स्थिति

कानूनी दृष्टिकोण से देखा जाए तो मानहानि का नोटिस एक गंभीर मामला होता है। हालांकि, ऐसे मामलों में अक्सर दोनों पक्षों के बीच समझौते की संभावना रहती है। यह देखना होगा कि क्या ममता और अन्य तृणमूल नेता इस नोटिस को चुनौती देंगे, या फिर वे इस विवाद को राजनीतिक रूप से सुलझाने की कोशिश करेंगे।

बंगाल की सियासत में इस नई कड़ी के बाद, अगले कुछ दिनों में और भी बड़े घटनाक्रम सामने आ सकते हैं, जिससे राज्य की राजनीति पर एक नया प्रभाव पड़ेगा।

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