दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे आए हुए पांच दिन हो चुके हैं, लेकिन बीजेपी अभी तक अपने नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर नहीं लगा पाई है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के सत्ता से बाहर होने के बाद बीजेपी के लिए दिल्ली का अगला सीएम चुनना आसान नहीं हो रहा है। 16 फरवरी को बीजेपी विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का नाम फाइनल हो जाएगा, लेकिन बीजेपी को ऐसे चेहरे की तलाश है जो दिल्ली के सियासी मिजाज में फिट बैठे और साथ ही ब्रांड केजरीवाल को सियासी टक्कर भी दे सके।
बीजेपी की नजर दिल्ली में एक ऐसे नेता पर है, जो न सिर्फ सियासी तौर पर मजबूत हो, बल्कि उसका खुद का राजनीतिक मर्तबा और रसूख भी हो। दिल्ली में बीजेपी की सत्ता रहे या कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की, लेकिन हमेशा सत्ता की बागडोर ऐसे नेताओं के हाथों में रही है जिनका कद ऊंचा रहा है। अब देखना ये है कि बीजेपी किस चेहरे को अपना नया सीएम बनाती है।
दिल्ली को मिले छह मुख्यमंत्री
दिल्ली की राजनीति में अब तक छह मुख्यमंत्री रहे हैं। 1993 में पहली बार दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए थे और उस वक्त बीजेपी ने भारी बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की थी। बीजेपी के दिग्गज नेता मदनलाल खुराना पहले सीएम बने। 1993 से 1998 तक बीजेपी ने तीन मुख्यमंत्री बनाए थे, जिनमें मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज शामिल थे। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनी और शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं, जिन्होंने 15 साल तक दिल्ली की सत्ता पर काबिज रहते हुए अपने कार्यों से अपनी पहचान बनाई।
शीला दीक्षित के सत्ता से हटने के बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी और अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की कमान संभाली। केजरीवाल ने न सिर्फ दिल्ली, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। अब बीजेपी के सामने चुनौती है कि वह दिल्ली के पूर्व सीएम के सियासी कद के हिसाब से नया मुख्यमंत्री चुनें।
सीएम चेहरे की तलाश बड़ी चुनौती
दिल्ली में बीजेपी 27 साल बाद सत्ता में लौटी है, और इस बार बीजेपी को सीएम के चयन में कोई जल्दबाजी नहीं दिखानी है। बीजेपी के पास अब 48 सीटें हैं और इसके बाद पार्टी के कई नेता सीएम की रेस में हैं। इस स्थिति में बीजेपी चाहती है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में एक ऐसा शख्स सामने आए, जो उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह तेजतर्रार हो। ऐसा नेता जो भविष्य में अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव जीतना मुश्किल बना दे।
योगी आदित्यनाथ की तरह बीजेपी को दिल्ली में भी एक ऐसा चेहरा चाहिए, लेकिन एक फर्क के साथ। बीजेपी दिल्ली में हिंदुत्व के मुद्दे को ज्यादा प्रभावी नहीं मानती, इसलिए उसे ऐसे नेता की तलाश है, जो विकास के मॉडल पर ध्यान केंद्रित कर सके, न कि सिर्फ धार्मिक राजनीति पर।
ब्रांड केजरीवाल के सामने मजबूत चेहरा
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी सियासी छवि बनाई है। उनका ब्रांड ‘केजरीवाल’ ना सिर्फ दिल्ली, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चित है। उनकी राजनीति ने दिल्ली में दो बार बीजेपी को शिकस्त दी है और केजरीवाल की पहचान अब एक राष्ट्रीय नेता के रूप में बन चुकी है। ऐसे में बीजेपी को चाहिए कि वह एक ऐसा चेहरा चुने, जो ब्रांड केजरीवाल की राजनीति को काउंटर कर सके और दिल्ली में सियासी धूल चटाने में कामयाब हो।
दिल्ली के सियासी मिजाज में फिट बैठे चेहरा
बीजेपी को दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए एक ऐसा चेहरा चाहिए, जो दिल्ली के सियासी मिजाज में फिट बैठ सके। दिल्ली में अलग-अलग जातियों और समुदायों के लोग बसे हैं, जैसे सवर्ण, पंजाबी, जाट-गुर्जर, पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोग। इस चुनाव में इन समुदायों ने बीजेपी को भरपूर वोट दिए हैं। खासकर मिडिल क्लास के मतदाताओं ने बड़ी संख्या में बीजेपी को अपना समर्थन दिया। दिल्ली में बीजेपी का कोर वोटबैंक सवर्ण और पंजाबी रहा है, लेकिन अब जाट-गुर्जर और अन्य समुदायों का भी समर्थन बीजेपी के साथ है।
ऐसे में बीजेपी को दिल्ली के सियासी मिजाज को ध्यान में रखते हुए एक ऐसे नेता की तलाश है जो इस विविधता को समझे और सभी समुदायों का विश्वास जीत सके।
पहले टर्म में सीएम बनाना चुनौती
बीजेपी का दिल्ली में पहला कार्यकाल 1993 से लेकर 1998 तक था, और इस दौरान पार्टी को तीन सीएम बदलने पड़े थे – मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज। इसके बाद भी बीजेपी सत्ता में वापसी नहीं कर पाई थी। इसके बाद पार्टी ने कई नेताओं को सीएम के रूप में आगे किया, लेकिन कोई भी सियासी तौर पर सफल नहीं हो सका। अब जब बीजेपी 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता में लौटी है, तो पार्टी सीएम के चयन में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहती।
इस बार बीजेपी के सामने एक बड़ी चुनौती है – दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में किसी ऐसे नेता का चुनाव करना जो पार्टी को मजबूती से दिल्ली की सियासत में बनाए रखे और भविष्य में केजरीवाल को कड़ी टक्कर दे सके।