आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ कोर्ट में ट्रायल चलाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से इजाजत मांगी है। गृह मंत्रालय ने जैन की गिरफ्तारी की मांग करते हुए राष्ट्रपति से उनकी खिलाफ अदालत में मुकदमा चलाने के लिए अभियोजन की मंजूरी का अनुरोध किया है।
क्या है मामला?
दरअसल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNS), 2023 की धारा 218 के तहत, किसी सरकारी अधिकारी पर आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान किए गए अपराधों के लिए सरकारी अनुमति की आवश्यकता होती है। इस नियम के चलते, गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से सत्येंद्र जैन के खिलाफ अदालत में मामला चलाने के लिए अनुमति मांगी है। इस कानून के तहत, अगर किसी सरकारी अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप होता है, तो अदालत में मुकदमा चलाने से पहले वरिष्ठ अधिकारियों की लिखित शिकायत जरूरी होती है।
गृह मंत्रालय की मंजूरी क्यों जरूरी?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों, न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों, और सशस्त्र बलों के सदस्य, जब अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए कोई अपराध करते हैं, तो उनके खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले सरकार की मंजूरी अनिवार्य होती है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा बिना उचित जांच-पड़ताल के न चले। हालांकि, कुछ मामलों में अपवाद भी हैं, ताकि न्याय में देरी न हो और मामले जल्दी निपट सकें। इस वजह से गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति से सत्येंद्र जैन के खिलाफ ट्रायल के लिए अनुमति मांगी है।
सत्येंद्र जैन पर क्या है आरोप?
सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है, जो 2017 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की जांच के बाद शुरू हुआ था। CBI ने जैन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने आय के स्रोत से कहीं ज्यादा संपत्ति अर्जित की थी। दिसंबर 2018 में CBI ने आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि जैन की संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015 से 2017 के बीच उनके आय स्रोतों से 217 प्रतिशत अधिक थी।
इस मामले में जैन को तिहाड़ जेल से 18 अक्टूबर को रिहा किया गया था, और सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में उन्हें मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत दी थी, जो समय-समय पर बढ़ाई जाती रही है।
चुनाव में मिली हार
सत्येंद्र जैन ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में शकूरबस्ती सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस सीट पर भाजपा के करनैल सिंह ने चुनाव लड़ा था और उन्हें सत्येंद्र जैन पर 20,998 वोटों से जीत मिली। करनैल सिंह को 56,869 वोट मिले थे, जबकि जैन को 35,871 वोट ही मिल सके।
इस पूरे मामले में गृह मंत्रालय का यह कदम जैन के लिए एक नई मुश्किल को जन्म दे सकता है। अब देखना होगा कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस केस में आगे क्या विकास होता है और क्या जैन के खिलाफ अदालत में ट्रायल चलता है या नहीं।