महाराष्ट्र के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे ने अंततः अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है, और इसका सीधा संबंध एक दर्दनाक हत्या मामले से है, जिसमें मुंडे के करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड का नाम सामने आया है। तो, आखिरकार क्या हुआ था और क्यों मुंडे को इस्तीफा देना पड़ा, आइए जानते हैं पूरी कहानी।
हत्याकांड और आरोपियों का नाम
यह मामला 9 दिसंबर 2023 का है, जब बीड जिले के मसजोग क्षेत्र में सरपंच संतोष देशमुख का अपहरण कर उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। हत्या के बाद पूरे राज्य में इस मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ा और सरकार पर सवाल उठने लगे। हाल ही में पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दायर की, जिसमें वाल्मिक कराड का नाम आरोपी के रूप में सामने आया। कराड मुंडे का करीबी सहयोगी था, और यह बात इस मामले को और ज्यादा संवेदनशील बना गई।
सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तस्वीरें
इस हत्या के बाद से सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और पोस्ट वायरल होने लगे, जिनमें दावा किया जा रहा था कि इस हत्याकांड के पीछे मुंडे के करीबी सहयोगी का हाथ था। इन वायरल तस्वीरों ने सरकार पर भारी दबाव डाल दिया और विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। आरोप लगने लगे कि मुंडे ने आरोपी को बचाने की कोशिश की, जिससे उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं। इस पूरे घटनाक्रम ने महाराष्ट्र सरकार को दुविधा में डाल दिया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
मुख्यमंत्री का दखल और इस्तीफा
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और एनसीपी नेतृत्व से मुंडे के इस्तीफे की मांग की। बाद में मुंडे ने अपनी तबियत खराब होने का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा उनके पीए प्रशांत जोशी ने मुख्यमंत्री के आवास पर पहुंचाया। हालांकि, मुंडे खुद इस दौरान मीडिया से सामने नहीं आए, लेकिन उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने इस्तीफे पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह कदम उनके स्वास्थ्य कारणों से उठाया गया है और वे इस मामले की पूरी जांच के पक्षधर हैं।
धनंजय मुंडे ने क्या कहा?
धनंजय मुंडे ने इस्तीफा देने के बाद सोशल मीडिया पर एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा, “सरपंच संतोष देशमुख की हत्या के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। कल जो तस्वीरें सामने आईं, वे देखकर मैं बहुत परेशान हुआ। मैं इस मामले की पूरी जांच के पक्ष में हूं। अब चार्जशीट दायर हो चुकी है और मामले में कोर्ट में आरोप पत्र भी दाखिल किया जा चुका है।
मुंडे ने आगे यह भी कहा, “मेरे स्वास्थ्य की स्थिति ठीक नहीं है और डॉक्टर ने मुझे अगले कुछ दिनों तक इलाज कराने की सलाह दी है। इस कारण से मैंने चिकित्सा कारणों से मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया है।”
क्या था हत्या का कारण?
गांव के लोगों का कहना था कि संतोष देशमुख की हत्या वाल्मिक कराड के इशारे पर की गई थी। इसके पीछे की वजह यह बताई जा रही है कि देशमुख पवन चक्की प्रोजेक्ट में 2 करोड़ की फिरौती का विरोध कर रहे थे। वे इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर आंदोलन कर रहे थे। बीड जिले के परली तहसील में यह पवन चक्की प्रोजेक्ट लगाया जाना था, जो कि संतोष देशमुख के विरोध के कारण विवादों में था।
राजनीतिक विवाद और धनंजय मुंडे का करियर
धनंजय मुंडे की राजनीतिक यात्रा भी बहुत दिलचस्प रही है। मुंडे ने अपनी शुरुआत चाचा गोपीनाथ मुंडे के अधीन की थी, लेकिन बाद में वे शरद पवार के पाले में आ गए। 2014 में विधान परिषद के सदस्य बने और फिर नेता प्रतिपक्ष का पद संभाला। 2019 में उन्होंने परली विधानसभा सीट से चुनाव जीता और विधायक बने।
लेकिन उनकी राजनीतिक यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही। जब 2019 में अजित पवार ने एनसीपी के अंदर बगावत की थी, तो धनंजय मुंडे अजित पवार के साथ हो गए थे। बाद में जब अजित पवार की वापसी हुई, तो मुंडे को उद्धव ठाकरे की सरकार में भी मंत्री बनाया गया। 2023 में एनसीपी में टूट के दौरान भी वे अजित पवार के साथ रहे और फिर से मंत्री बने।
महाराष्ट्र की राजनीति में भी एक बड़ा उलटफेर
धनंजय मुंडे के इस्तीफे का असर केवल राज्य सरकार पर नहीं पड़ा, बल्कि यह महाराष्ट्र की राजनीति में भी एक बड़ा उलटफेर है। 2024 में जब सरकार का गठन हुआ, तो मुंडे को एनसीपी के कोटे से मंत्री बनाया गया। उनके इस्तीफे के बाद से यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह सरकार की छवि को और भी नुकसान पहुंचाएगा।
इसके अलावा, इस घटनाक्रम ने यह भी साबित किया कि महाराष्ट्र में राजनीतिक दबाव और विपक्षी पार्टियों के हमलों के कारण सरकार को लगातार झुकना पड़ता है, खासकर जब बात किसी गंभीर आपराधिक मामले की हो।
क्या आगे होगा?
धनंजय मुंडे का इस्तीफा केवल एक व्यक्ति के पद से हटने का मामला नहीं है, बल्कि यह राज्य की राजनीति में गहरे संकट की ओर इशारा करता है। अब यह देखना होगा कि सरकार इस स्थिति से कैसे निपटती है और क्या आगे किसी और को इस पद पर नियुक्त किया जाएगा।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर कोई विशेष बयान नहीं दिया, लेकिन राज्यपाल को भेजे गए इस्तीफे के बाद अब इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।