कुंभ 2025 में संगम पर स्नान करने आए लाखों श्रद्धालुओं के बीच गंगा जल की शुद्धता को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया ने लोकसभा में बड़ा सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, “क्या सच में कुंभ के दौरान संगम का पानी नहाने योग्य था या फिर इसमें प्रदूषण की अधिक मात्रा पाई गई थी?”
इस सवाल का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि कुंभ के दौरान संगम का पानी सभी निर्धारित मानकों पर खरा उतरा और नहाने योग्य था। हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) की रिपोर्ट के बीच भारी अंतर दिखा।
CPCB की पहली रिपोर्ट: संगम का पानी नहाने योग्य नहीं!
CPCB की इस रिपोर्ट के बाद कुंभ में गंगा जल की शुद्धता पर बड़ा विवाद छिड़ गया। इसके बाद NGT के निर्देश पर एक विस्तृत जांच हुई, जिसमें दिन में दो बार पानी की गुणवत्ता की जांच की गई।
3 फरवरी 2025 को सौंपी गई रिपोर्ट में बताया गया कि गंगा जल में मल-मूत्र की मात्रा अधिक थी। रिपोर्ट के अनुसार, पानी के जैविक ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक थी। इस रिपोर्ट के बाद सरकार की तरफ से सफाई व्यवस्था और जल प्रबंधन को लेकर कड़े कदम उठाने की बात कही गई।
UPPCB की रिपोर्ट: CPCB की रिपोर्ट गलत!
CPCB की रिपोर्ट के ठीक 15 दिन बाद, 18 फरवरी 2025 को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) ने अपनी रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में CPCB की रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया।
UPPCB ने दावा किया कि संगम का पानी पूरी तरह नहाने योग्य था। रिपोर्ट में 6 अलग-अलग जगहों पर पानी की जांच के नतीजे दिए गए, जिनमें जल की गुणवत्ता संतोषजनक बताई गई। UPPCB की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने कहा कि कुंभ के दौरान संगम पर स्नान के लिए पानी पूरी तरह सुरक्षित था।
लेकिन इस विरोधाभास के बाद मामला और उलझ गया, और NGT ने UPPCB की रिपोर्ट पर असंतोष जताया।
28 फरवरी 2025 की अंतिम रिपोर्ट: संगम का पानी हुआ साफ?
28 फरवरी 2025 को CPCB ने NGT में एक अंतिम रिपोर्ट पेश की, जिसमें दावा किया गया कि संगम का पानी अब सभी तय मानकों पर खरा उतरता है और नहाने योग्य है।
CPCB ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि फरवरी महीने में संगम की सफाई व्यवस्था को और बेहतर किया गया, जिससे पानी की गुणवत्ता में सुधार आया।
गंगा जल में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा काफी कम हो गई। ऑक्सीजन स्तर बढ़ा, जिससे पानी की शुद्धता में इजाफा हुआ। गंगा जल अब स्नान योग्य मानकों पर खरा उतरा।
सरकार ने क्या कदम उठाए?
पर्यावरण मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कुंभ के दौरान गंगा जल की शुद्धता बनाए रखने के लिए कई कड़े कदम उठाए।
नदियों में गंदे पानी के सीधे गिरने पर प्रतिबंध लगाया गया। गंगा नदी के किनारे जल शुद्धिकरण संयंत्रों की निगरानी बढ़ाई गई। स्नान घाटों पर विशेष सफाई अभियान चलाए गए। जल परीक्षण की संख्या बढ़ाई गई और नियमित रूप से जांच की गई।
क्या संगम का पानी सच में साफ था?
सरकारी रिपोर्टों के विरोधाभास ने श्रद्धालुओं के मन में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
अगर 3 फरवरी को पानी नहाने योग्य नहीं था, तो 28 फरवरी तक यह कैसे पूरी तरह साफ हो गया? अगर UPPCB की रिपोर्ट सही थी, तो CPCB की शुरुआती रिपोर्ट को गलत क्यों बताया गया? क्या सरकार ने कुंभ के दौरान गंगा सफाई अभियान को और तेज किया था?
सरकार का आधिकारिक बयान यही कहता है कि कुंभ 2025 के दौरान संगम का पानी पूरी तरह से नहाने योग्य था। लेकिन यह सवाल अब भी बना हुआ है कि शुरुआत में आई CPCB की रिपोर्ट में संगम के पानी को अशुद्ध क्यों बताया गया था?