Tuesday, April 8, 2025

अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए भारत में मैन्यूफैक्चरिंग करेंगी चाईनीज कंपनियां, भारत को होगा फायदा

अमेरिका द्वारा भारत, चीन और अन्य देशों पर लगाए गए उच्च टैरिफ ने वैश्विक उद्योग जगत को एक नई दिशा में सोचने पर मजबूर कर दिया है। खासकर चीनी कंपनियों के लिए यह संकट का समय हो सकता है, क्योंकि चीन पर सबसे अधिक टैरिफ लगाया गया है। अब चीन की प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं, ताकि वे अमेरिकी टैरिफ से बच सकें। यह कदम रूस के उस पुराने फैसले की याद दिलाता है, जब रूस ने अमेरिकी बैन से बचने के लिए भारत को एक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में इस्तेमाल किया था। अब चीन भी अपनी कारोबारी रणनीति में बदलाव कर भारत को नए अवसरों के रूप में देख रहा है।

चीन के मुकाबले भारत में मैन्यूफैक्चरिंग है ज्यादा फायदेमंद

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से बचने के लिए चीनी कंपनियां जैसे हायर, लेनोवो और हाइसेंस को अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर रही हैं। ये कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग की तैयारी कर रही हैं, ताकि यहां से इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की सप्लाई की जा सके। भारत में चीन और वियतनाम के मुकाबले टैरिफ दरें कम हैं, जिससे यह फैसला आर्थिक दृष्टि से अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है।

भारत-चीन सीमा विवाद के चलते दोनों देशों में हैं तनाव

हालांकि भारत और चीन के रिश्तों में सीमा तनाव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन चाइनीज कंपनियों को विश्वास है कि भारत सरकार इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए नियमों में लचीलापन दिखा सकती है। वहीं, भारत ने चीन जैसे देशों से FDI (फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट) की मंजूरी को लेकर कड़े नियम लागू किए हैं। फिर भी, व्यापारिक अवसरों के लिए दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

भारत को मिलेगा ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने का मौका

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की कंपनियां भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। इन कंपनियों के लिए भारत में ग्रेटर नोएडा और पुणे जैसे शहरों में नए मैन्युफैक्चरिंग हब बन सकते हैं। टैरिफ की स्थिति भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि चीन और वियतनाम से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले उत्पादों पर भारी टैक्स लगाया जा रहा है, जबकि भारत पर यही दरें कम हैं।

कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग को मिलेगा बढ़ावा

भगवती प्रोडक्ट्स के राजेश अग्रवाल ने कहा कि वियतनाम और चीन की तुलना में अमेरिका के लिए मैन्युफैक्चरिंग की लागत भारत में कम है। कई चीनी कंपनियां, जैसे ओप्पो और वीवो, अपनी मैन्युफैक्चरिंग प्रक्रिया को भारत में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं। अमेरिका द्वारा भारत पर केवल 26% टैरिफ लागू किया गया है, जो अन्य एशियाई देशों की तुलना में कम है।

चीन के लिए एक बड़ी चुनौती, कंपनियों को भारत में करना होगा निवेश

अमेरिका ने चीन पर 54%, वियतनाम पर 46%, थाईलैंड पर 36%, और ताइवान पर 32% टैरिफ लगाया है, जो 9 अप्रैल से प्रभावी होंगे। हायर, लेनोवो, मोटोरोला, ओप्पो, वीवो और TCL जैसी कंपनियां इस स्थिति में अपने उत्पादों की सप्लाई चेन को भारत से जोड़ने पर विचार कर रही हैं।

भारत के लिए यह अवसर हो सकता है गेमचेंजर

भारत के लिए यह समय एक गेमचेंजर साबित हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ से चीनी कंपनियों के लिए उत्पादन स्थान बदलना आवश्यक हो सकता है। डिक्सन टेक्नोलॉजीज जैसी कंपनियां इस बदलाव से फायदा उठा सकती हैं, जो पहले से ही अमेरिकी बाजार के लिए स्मार्टफोन मैन्युफैक्चर कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, अगर भारत सरकार FDI मंजूरी को लेकर लचीला रुख अपनाती है, तो भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात के लिए यह एक बड़ा अवसर साबित हो सकता है। यह स्थिति न केवल भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक बदलाव का संकेत हो सकती है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles