उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी के खिलाफ सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। विधायक की फर्म गंगोत्री इंटरप्राइजेज के लखनऊ, गोरखपुर और मुंबई में स्थित दफ्तरों पर Enforcement Directorate (ED) ने छापेमारी की है। यह छापेमारी 1500 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में सीबीआई की चल रही जांच के बीच की गई है।
बैंक लोन घोटाले में ED के साथ-साथ CBI ने शुरू की जांच
सपा नेता विनय शंकर तिवारी ने अपने पिता एवं दिवंगत बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी के नाम से बसपा विधायक रहते हुए गंगोत्री इंटरप्राइजेज के नाम पर कई बैंकों से लोन लिया था। इन लोन को दूसरी जगहों पर निवेश करने और हड़पने का आरोप है। इस मामले में बैंक ऑफ इंडिया के क्लस्टर से लोन देने वाले बैंक ने शिकायत की थी, जिस पार कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने अपनी जांच शुरू की। अब इसी मामले में Enforcement Directorate (ED) ने भी इस मामले में मनी लांड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत केस दर्ज कर जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
4 घंटे तक हुई अलग-अलग ठिकानों पर छापेमारी
प्राप्त जानकारी के अनुसार ईडी की कई टीमों ने सोमवार तड़के तिवारी के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान करीब 4 घंटे तक जांच-पड़ताल की गई। आपको बता दें कि विनय शंकर तिवारी को ईडी के कई नोटिसों देकर जांच में सहयोग के लिए कहा गया था परंतु वह उपस्थित नहीं हुए। ऐसे में विभाग ने कार्रवाई करते हुए उनके ठिकानों पर छापेमारी की और जरूरी जानकारी तथा डॉक्यूमेंट्स एकत्रित किए।
राजनीतिक रसूख वाला रहा है तिवारी परिवार
विनय शंकर तिवारी, जोकि 1985 से 2007 तक बसपा के विधायक और कई सरकारों में मंत्री रहे थे, एक समय में पूर्वांचल क्षेत्र में एक ताकतवर नेता के रूप में स्थापित थे। लेकिन समय के साथ उनका राजनीतिक प्रभाव कमजोर पड़ा, और वर्तमान में तिवारी परिवार की यूपी सरकार से अनबन भी जगजाहिर हो चुकी है। कई बार विनय तिवारी ने राज्य सरकार के खिलाफ आक्रामक बयान दिए हैं। सीबीआई और ईडी की जांच अब इस मामले की गंभीरता को और बढ़ाती जा रही है। लोन घोटाले में कई बैंक और संस्थाओं का नाम जुड़ा हुआ है, और अब यह सवाल उठने लगा है कि विनय तिवारी और उनके परिवार के खिलाफ क्या और कठोर कदम उठाए जाएंगे।