Saturday, April 19, 2025

‘देश का एक्स-रे करो’: राहुल गांधी ने कांग्रेस अधिवेशन से फिर उठाई जाति जनगणना की मांग

गुजरात के अहमदाबाद में चल रहे कांग्रेस अधिवेशन में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर जाति जनगणना की मांग को जोर-शोर से उठाया। अपने संबोधन में उन्होंने इसे देश का “एक्स-रे” करार दिया, जिससे यह पता चलेगा कि भारत में दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की कितनी आबादी और भागीदारी है। साथ ही, उन्होंने महात्मा गांधी और सरदार पटेल को कांग्रेस का आधार बताते हुए अपनी राजनीतिक विरासत और इंदिरा गांधी के विचारों को भी याद किया। राहुल ने केंद्र की मोदी सरकार और RSS पर जमकर निशाना साधा, और कहा कि ये लोग सच सामने नहीं आने देना चाहते। आइए, उनके भाषण की बड़ी बातों को डिकोड करते हैं।

गांधी-पटेल की धरती से मिशन की शुरुआत

राहुल गांधी ने अपने संबोधन की शुरुआत गुजरात की मिट्टी को नमन करते हुए की। उन्होंने कहा कि 100 साल पहले गांधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। 150 साल पहले इसी धरती पर सरदार पटेल का जन्म हुआ था। ये दोनों कांग्रेस के फाउंडेशन हैं।”

अधिवेशन को गांधी की अध्यक्षता की शताब्दी और पटेल की 150वीं जयंती से जोड़ते हुए उन्होंने इसे भावनात्मक और सियासी तौर पर मजबूत शुरुआत दी। लेकिन फिर बात अजय लल्लू के एक कमेंट से “डायवर्ट” हो गई। राहुल ने हल्के अंदाज में कहा, “मैं तो कुछ और बोलने वाला था, मगर अजय जी ने कह दिया कि लोग मेरा नाम याद रखेंगे।” यहाँ से उन्होंने अपनी दादी इंदिरा गांधी का एक किस्सा सुनाया।

इंदिरा का सबक: “काम करो, नाम की चिंता मत करो”

राहुल ने बचपन की याद ताजा करते हुए बताया कि मैंने दादी से पूछा था कि मरने के बाद लोग आपके बारे में क्या कहें?” इंदिरा का जवाब था, “मैं अपना काम करती हूँ, लोग क्या सोचें, मुझे फर्क नहीं पड़ता। पूरी दुनिया मुझे भूल जाए, तब भी ठीक है।” राहुल ने कहा, “यही मेरा भी मानना है। सच्चाई और अपना काम ही मायने रखता है, नाम की चिंता नहीं।” यहाँ उन्होंने अपनी सियासी सोच को इंदिरा की विरासत से जोड़ा, और यह मैसेज दिया कि उनका मकसद सिर्फ वाहवाही नहीं, बल्कि सच के लिए लड़ना है।

जाति जनगणना: देश का “एक्स-रे” क्यों जरूरी?

राहुल ने जाति आरक्षण के मुद्दे का एक बार फिर से बीज बोते हुए कहा कि हमें देश का एक्स-रे करना है। पता लगाना है कि दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक कितने हैं। ये लोग धूप में मेहनत करते हैं, लेकिन क्या देश उनकी इज्जत करता है?” उन्होंने तेलंगाना का उदाहरण देते हुए बताया कि वहाँ जाति जनगणना से OBC, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों की 90% आबादी का हिस्सा सामने आया।

मगर हैरानी की बात यह है कि तेलंगाना के कॉरपोरेट सेक्टर में इन 90% लोगों में से एक भी CEO या मालिक नहीं मिलेगा।” राहुल का तंज था था कि भागीदारी शून्य है, और मोदी जी-RSS इसे छिपाना चाहते हैं।” उन्होंने संसद में अपनी मांग का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी जी से कहा था—जाति जनगणना कराइए। मगर उन्होंने साफ मना कर दिया।”

“थाली बजवाते हैं, सच नहीं बताते”

राहुल ने अमेरिकी टैरिफ और आर्थिक मंदी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। “ट्रंप ने टैरिफ की बात की, मगर मोदी जी चुप। कोविड में थाली बजवाई, अब आर्थिक परेशानी आने वाली है, फिर भी सन्नाटा।” उन्होंने बांग्लादेश का जिक्र करते हुए कहा, “वहाँ PM बोलते रहे, यहाँ मोदी जी मत्था टेकते रहे।” राहुल का इल्जाम था कि सरकार अडानी-अंबानी को फायदा पहुँचाने में लगी है, और लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है।

तो क्या है राहुल का प्लान?

राहुल गांधी का यह संबोधन सिर्फ एक भाषण नहीं, बल्कि उनकी सियासी रणनीति का नक्शा था। जाति जनगणना को “एक्स-रे” बताकर उन्होंने इसे सामाजिक न्याय का हथियार बनाया। तेलंगाना मॉडल को आगे रखकर उन्होंने BJP को चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो सच सामने लाओ। साथ ही, गांधी-पटेल की विरासत से जोड़कर कांग्रेस की जड़ों को मजबूत करने की कोशिश की। अब सवाल यह है कि क्या यह “एक्स-रे” BJP के लिए मुश्किल खड़ी करेगा, या राहुल का यह दाँव सिर्फ शोर बनकर रह जाएगा? जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा!

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles