Saturday, April 19, 2025

ये है नेशनल हेराल्ड, पंडित नेहरू और सरदार पटेल से जुड़ी 75 साल पुरानी कहानी, जिसके चलते फंसे राहुल-सोनिया

राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नाम इन दिनों नेशनल हेराल्ड केस में चर्चा में है, जहां ईडी ने उन्हें आरोपी बनाया है। चार्जशीट के अनुसार, यंग इंडिया लिमिटेड के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए गए हैं। इस केस की जड़ें 75 साल पुरानी हैं, और यह कहानी भारतीय राजनीति के कुछ सबसे महत्वपूर्ण नामों से जुड़ी हुई है। अगर उस वक्त पंडित नेहरू ने सरदार पटेल की चेतावनी को गंभीरता से लिया होता, तो शायद आज राहुल और सोनिया गांधी इस मामले में न फंसे होते। आइए जानें इस कहानी के बारे में विस्तार से।

स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने के लिए हुई थी नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत

नेशनल हेराल्ड अखबार का प्रकाशन 9 सितंबर 1938 को हुआ था, जब पंडित नेहरू ने इसे शुरू किया था। यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ था और इसमें हजारों स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान था। नेशनल हेराल्ड, नवजीवन (हिंदी) और कौमी आवाज (उर्दू) तीन प्रमुख अखबार थे, जो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित होते थे। 1942 से 1945 तक अंग्रेजों ने इस अखबार के प्रकाशन पर रोक भी लगा दी थी, लेकिन आजादी के बाद जब नेहरू प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने इस अखबार के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया और फिरोज गांधी को इसका मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिया।

क्यों हुआ नेशनल हेराल्ड आर्थिक संकट का शिकार?

समय के साथ एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की वित्तीय स्थिति बिगड़ने लगी। फिरोज गांधी के मैनेजमेंट में यह अखबार आर्थिक संकट में डूबने लगा। इसे उबारने के लिए नेहरू परिवार ने इसे जनहित निधि ट्रस्ट के रूप में बदल दिया, लेकिन इस ट्रस्ट पर भी उनके करीबी लोगों का ही नियंत्रण था। वहीं, ओ. एम. मथाई की किताब में यह खुलासा हुआ कि नेशनल हेराल्ड के लिए रिश्वत लेने की भी खबरें थीं, और सरदार पटेल को जब इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने पंडित नेहरू से इस पर ध्यान देने की बात की थी।

सरदार पटेल ने नेशनल हेराल्ड को लेकर दी थी चेतावनी, जिसे पंडित नेहरू ने किया खारिज

1950 में सरदार पटेल ने पंडित नेहरू को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने नेशनल हेराल्ड के संदिग्ध वित्तीय लेन-देन और अवैध फंडिंग को लेकर चिंता जताई थी। पटेल ने नेहरू को बताया था कि अखबार ने हिमालयन एयरवेज से जुड़े व्यक्तियों से पैसे लिए हैं, और इसका संबंध वायुसेना के लिए अनुबंध प्राप्त करने से था। इसके अलावा, पटेल ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अहमद किदवई द्वारा सरकारी पद का दुरुपयोग करके पैसे जुटाने की भी जानकारी दी थी। पंडित नेहरू ने इन चिंताओं को खारिज कर दिया और यह माना कि इसमें कुछ गलतियां हो सकती हैं, लेकिन सरदार पटेल की इन चेतावनियों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। आज जब ईडी इस मामले की जांच कर रही है, तो सरदार पटेल की दी गई चेतावनियां एक बार फिर सही साबित हो रही हैं।

सरदार पटेल की चेतावनी नजरअंदाज करने का परिणाम आज है सामने

सरदार पटेल की चेतावनियों को दरकिनार करने का खामियाजा आज नेशनल हेराल्ड केस के रूप में सामने आ रहा है। ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर 5,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। यह मामला सीधे तौर पर यंग इंडिया लिमिटेड से जुड़ा हुआ है, जो नेशनल हेराल्ड और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की मूल कंपनी है। पटेल की वह चिंता, जो उन्होंने 1950 में जताई थी, आज एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में बदल चुकी है। कुल मिलाकर नेशनल हेराल्ड केस न केवल कांग्रेस के लिए एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है, बल्कि यह भारतीय राजनीति के इतिहास का एक दिलचस्प और विवादित अध्याय बन गया है। अगर उस समय पंडित नेहरू ने सरदार पटेल की चेतावनी पर गौर किया होता, तो शायद आज राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस मामले में फंसे हुए न होते।

भाजपा ने कांग्रेस पर लगाया अपनी ही विरासत को नष्ट करने का आरोप

भाजपा ने इस मामले को लेकर सवाल उठाए हैं कि आखिरकार कांग्रेस पार्टी ने नेशनल हेराल्ड को क्यों बंद कर दिया, जबकि वह सत्ता में थी। 2008 में जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब नेशनल हेराल्ड अखबार बंद हो गया। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस और उसके नेताओं ने जानबूझकर इस अखबार को खत्म किया, ताकि यह मामला दफन हो सके। भाजपा का आरोप है कि नेशनल हेराल्ड को लेकर पंडित नेहरू और उनके परिवार की संलिप्तता संदिग्ध रही है, और अगर सरदार पटेल की बात मानी जाती तो यह स्थिति नहीं आती।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles