पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर हाल ही में अपने भारत विरोधी बयानों के कारण चर्चा में हैं। जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान की “गले की नस” बताने और हिंदू-मुस्लिम के बीच गहरी खाई की बातें करने वाले मुनीर को भारत के खिलाफ कट्टर रुख अपनाने वाले जनरल परवेज मुशर्रफ से जोड़कर देखा जा रहा है। उनका यह बयान, जो उन्होंने एक कार्यक्रम में दिया था, बहुत तेजी से वायरल हो गया।
हिंदू और मुस्लिमों को बताया था दो अलग-अलग संस्कृति
अपने इस विवादास्पद बयान में उन्होंने कहा था कि मुसलमान और हिंदू पूरी तरह से अलग हैं—उनकी संस्कृति, धर्म, इतिहास और सोच में कोई समानता नहीं हो सकती। उनके इस बयान के बाद जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमला हुआ, जिसमें आतंकियों ने धर्म पूछकर पर्यटकों की जान ली। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस जनरल आसिम मुनीर ने इस तरह का बयान दिया, उनके परिवार का भारत से गहरा रिश्ता रहा है? यह एक दिलचस्प कहानी है, जो पाकिस्तान के विभाजन के बाद के समय से जुड़ी हुई है।
पंजाब के जालंधर में रहता था उनका परिवार
1947 में भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान अस्तित्व में आया, और इस दौरान बहुत से परिवारों को अपने घरों से दूर होना पड़ा। आसिम मुनीर के परिवार का कनेक्शन भारत के पंजाब राज्य के जालंधर जिले से है। उनके पूर्वज जालंधर से निकलकर पाकिस्तान के सीमांत जिले, टोबा टेक सिंह में बस गए थे। इसके बाद उनका परिवार रावलपिंडी में स्थायी रूप से बस गया। यह वही रावलपिंडी है, जो आज पाकिस्तान की सेना का मुख्यालय है।
मस्जिद के इमाम थे आसिम के पिता
आसिम मुनीर के पिता, सैयद सरवर मुनीर, रावलपिंडी के प्रसिद्ध लालकुर्ती इलाके की मस्जिद अल कुरैश के इमाम थे। उनके पिता धार्मिक प्रवचन देने में माहिर थे और हर जुमे को नमाजियों को इस्लाम की शिक्षा दिया करते थे। यह जानकर यह समझना और भी दिलचस्प हो जाता है कि जनरल मुनीर ने एक धार्मिक वातावरण में अपनी परवरिश पाई।
मदरसे में की शुरूआती पढ़ाई
आसिम मुनीर की शिक्षा भी विशेष रूप से इस्लामिक रही है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रावलपिंडी के दारुल तजवीद मदरसे से प्राप्त की थी। बाद में उन्होंने जापान के फुजी स्कूल और मलयेशिया के आर्म्ड फोर्सेज कॉलेज जैसी उच्च शिक्षा संस्थानों से अपनी शिक्षा पूरी की। हालांकि, उनका मन हमेशा इस्लामिक शिक्षा की ओर ही झुका रहा।
हासिल किया हाफिज-ए-कुरान का दर्जा
आसिम मुनीर को हाफिज-ए-कुरान का दर्जा प्राप्त है, जो उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने कुरान को पूरी तरह से याद कर लिया हो। इसका मतलब है कि वह कुरान के हर एक शब्द को अपने दिल और दिमाग में सहेजे हुए हैं। इस कारण से, उनके भाषणों में अक्सर इस्लामिक संदर्भ होते हैं, और वे कुरान की आयतें बड़े आत्मविश्वास के साथ प्रस्तुत करते हैं। एक बार उन्होंने यह भी कहा था कि मदीना के बाद, पाकिस्तान ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसे कलमे की बुनियाद पर बनाया गया है।
पाकिस्तान और भारत का साझा इतिहास
आसिम मुनीर के परिवार का भारत से जो गहरा जुड़ाव है, वह यह दर्शाता है कि पाकिस्तान और भारत का इतिहास सिर्फ विभाजन तक सीमित नहीं है। दोनों देशों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर साझा रही है। आसिम मुनीर जैसे व्यक्तित्व का भारत से जुड़ा हुआ होना यह भी साबित करता है कि पाकिस्तान का अस्तित्व सिर्फ भारत से अलग होने का परिणाम नहीं है, बल्कि भारत के हिस्से के एक गहरे इतिहास से जुड़ा हुआ है।
भारत से रिश्ता होते हुए भी भारत से रखते हैं दुश्मनी
आसिम मुनीर का भारत के प्रति कट्टरता भरा रुख उनकी ज़िंदगी और उनके परिवार के इतिहास से मेल नहीं खाता। उनके पूर्वजों का भारत से गहरा रिश्ता था, और उनका खुद का जीवन भी इस्लामिक शिक्षा और संस्कारों से भरा हुआ है। यह देखने वाली बात होगी कि पाकिस्तान की सेना के प्रमुख के रूप में वे आगे क्या कदम उठाते हैं और भारत से संबंधित उनके विचार किस दिशा में जाते हैं।