हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व है। हर महीने में दो बार आने वाला यह व्रत साल में 24 बार आता है, और अधिकमास होने पर यह संख्या 26 तक पहुंच जाती है। मान्यता है कि एकादशी का व्रत रखने से पाप धुल जाते हैं, मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं। यदि आप 8 मई को पड़ने वाली मोहिनी एकादशी के दिन विधिपूर्वक तुलसी की पूजा करते हैं, तो आपको धन और समृद्धि का आशीर्वाद मिल सकता है।
पूजा विधि
मोहिनी एकादशी के दिन तुलसी की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा के बाद तुलसी के पौधे की पूजा करें। सबसे पहले तुलसी के पास दीपक जलाएं और उन्हें लाल चुनरी अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन तुलसी के पौधे में जल अवश्य अर्पित करें। हालांकि, धार्मिक मान्यता यह भी है कि एकादशी के दिन तुलसी में जल चढ़ाने से व्रत टूट सकता है, क्योंकि तुलसी देवी निर्जला व्रत रखती हैं।
पारण का समय
मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 9 मई, 2025 को किया जाएगा। व्रत खोलने का शुभ समय सुबह 5 बजकर 34 मिनट से सुबह 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में भगवान विष्णु का स्मरण करके आप अपना व्रत पूर्ण कर सकते हैं।
इन तुलसी मंत्रो का करें जाप
“देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी। धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।। लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।”
“वरिन्दायै तुलसी देव्यै। सत्यवती नमो नमः।”
“ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्॥”
साल में आने वाली एकादशियों के नाम (Mohini Ekadashi)
- उत्पन्ना एकादशी
- मोक्षदा एकादशी
- सफला एकादशी
- पौष पुत्रदा एकादशी
- षटतिला एकादशी
- जया एकादशी
- विजया एकादशी
- आमलकी एकादशी
- पापमोचिनी एकादशी
- कामदा एकादशी
- वरूथिनी एकादशी
- मोहिनी एकादशी
- अपरा एकादशी
- निर्जला एकादशी
- योगिनी एकादशी
- देवशयनी एकादशी
- कामिका एकादशी
- श्रावण पुत्रदा एकादशी
- अजा एकादशी
- परिवर्तिनी एकादशी
- इंदिरा एकादशी
- पापांकुशा एकादशी
- रमा एकादशी
- प्रबोधिनी एकादशी (देव उठनी)