बिहार में इस वर्ष के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पिछले लंबे वक्त से आरजेडी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव बीजेपी एनडीए पर हमला बोल रहे थे। 9 मार्च को तेजस्वी अपने अन्य नेताओं के साथ 65 प्रतिशत तक आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर पार्टी कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। विपक्षी दल लगातार जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे और अचानक केंद्र की मोदी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद ऐलान कर दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराई जाएगी।
बीजेपी और एनडीए को उम्मीद है कि जातिगत जनगणना के सरकार के इस फैसले से विपक्षी दलों के खिलाफ एक काउंटर नेरेटिव बनाने में मदद मिलेगी। तेजस्वी यादव लंबे वक्त से यही आरोप लगाते थे कि बीजेपी और आरएसएस-बीजेपी आरक्षण के खिलाफ हैं, लेकिन जातिगत जनगणना के फैसले ने सियासी समीकरणों के बदलाव के संकेत दिए हैं।
जेडीयू ने बोला तेजस्वी पर हमला
एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने एक न्यूज एजेंसी से बातचीत की और कहा, “जाति जनगणना का मुद्दा अब हमारे पक्ष में है। विपक्ष इसकी मांग कर रहा है लेकिन लोग उस व्यक्ति को याद रखेंगे जिसने इसे किया। जब आप 58 साल तक सत्ता में थे, तब आप क्या कर रहे थे? आपने ऐसा नहीं किया। इसे करने के लिए नरेंद्र मोदी की जरूरत थी।” संजय झा ने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा, “नीतीश कुमार बिहार में पहले ही इसे कर चुके हैं।
जाति सर्वेक्षण के आधार पर कोटा बढ़ाना भी सीएम का फैसला था। इस मामले में बीजेपी हमेशा हमारे साथ ही थी।” संजय झा ने दावा किया कि विपक्ष का यह आरोप कि एनडीए ने जाति जनगणना का विरोध किया है, बिहार में वैसे भी नहीं टिकता, क्योंकि जेडीयू एक सामाजिक न्याय पार्टी है। उन्होंने कहा, “यह गठबंधन बहुत मजबूत है। इसके बाद आंधी आएगी।”
जनता में ले जाएंगे एनडीए की बात
राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि 1990 से लेकर 15 साल तक आरजेडी बिहार में सत्ता में रही। उसने जाति जनगणना नहीं की। नीतीश कुमार ने यह काम किया। जब आरजेडी केंद्र में कांग्रेस के साथ थी, तब उसने 2011 की जाति जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़े जारी करने के लिए सरकार पर दबाव नहीं बनाया। आज बिहार मॉडल को पूरे देश ने अपनाया है। JDU नेता ने कहा, “BJP हमेशा कहती रही है कि जाति जनगणना सही समय पर होगी। अगर जनगणना की घोषणा हो जाती और जाति गणना उसका हिस्सा नहीं होती, तभी BJP के खिलाफ कोई तर्क हो सकता था। हम इस संदेश के साथ लोगों के पास जाएंगे।”
इस मामले में क्या है BJP की सोच
बिहार में BJP नेताओं का मानना है कि सरकार के इस फैसले से यह आलोचना भी दूर हो जाएगी कि पार्टी इस मुद्दे पर अपने कदम पीछे खींच रही है। पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा जाति का मुद्दा उठाए जाने के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि केवल चार जातियां हैं। महिलाएं, युवा, किसान और गरीब। इससे यह धारणा बनी कि BJP इस मुद्दे से बच रही है। विपक्ष इस जाति जनगणना के फैसले का क्रेडिट ले रहा है। आरजेडी और कांग्रेस दोनों ने कहा है कि जाति जनगणना पर उनके अथक अभियान ने ही एनडीए को मजबूर किया है। आरजेडी नेताओं ने अपनी पार्टी के संस्थापक लालू प्रसाद के हवाले से कहा है कि पिछले सितंबर में उन्होंने कहा था किहम आरएसएस और बीजेपी को कान पकड़कर बैठा देंगे और जाति जनगणना करवाएंगे।