Saturday, May 10, 2025

विदेशी मुद्रा भंडार को लगा झटका, भारत-पाक तनाव के बीच सोने का भंडार भी घटने लगा

भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव का असर अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रहा। आर्थिक मोर्चे पर भी इसका असर दिखने लगा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जो बीते आठ हफ्तों से लगातार बढ़ रहा था, अब ढलान पर है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 2 मई को खत्म हुए सप्ताह में भारत के फॉरेक्स रिजर्व में 2.06 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है। अब भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 686.06 बिलियन डॉलर पर आ गया है, जबकि पिछले सप्ताह यह 688.13 बिलियन डॉलर के स्तर पर था। यह गिरावट उस समय आई है जब क्षेत्रीय तनाव और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का प्रभाव पहले से ही मंडरा रहा है।

विदेशी संपत्तियों में थोड़ी राहत, लेकिन सोना बना चिंता का कारण

हालांकि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में मामूली 514 मिलियन डॉलर की बढ़त जरूर दर्ज की गई है, लेकिन यह राहत पूरी तरह संतुलन नहीं बना सकी। फॉरेक्स रिजर्व के सबसे अहम हिस्से — विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां — अब बढ़कर 581.18 बिलियन डॉलर हो चुकी हैं। दूसरी ओर, सोने के भंडार में 2.55 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे यह घटकर 81.82 बिलियन डॉलर पर आ गया है। इस गिरावट ने कुल भंडार में आई कमी को और गंभीर बना दिया है।

एसडीआर और आयात क्षमता पर असर

IMF के विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी घटकर 18.56 बिलियन डॉलर रह गए हैं, जिसमें 30 मिलियन डॉलर की कमी आई है। रिज़र्व बैंक का मानना है कि फिलहाल भारत के पास इतना विदेशी मुद्रा भंडार है कि वह लगभग 10-12 महीनों तक के आयात खर्च को संभाल सकता है। हालांकि यह संतोषजनक आंकड़ा है, लेकिन गिरती दिशा निवेशकों और नीति निर्माताओं के लिए चिंता का कारण बन सकती है।

इतिहास से सबक: उतार-चढ़ाव का दौर

यह गिरावट कोई नई बात नहीं है। सितंबर से ही विदेशी मुद्रा भंडार में उतार-चढ़ाव का ट्रेंड देखा जा रहा है। तब भंडार 704.89 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा था। इसके बाद रिज़र्व धीरे-धीरे गिरने लगे। रुपये की डॉलर के मुकाबले कमजोरी और वैश्विक बाजार में उथल-पुथल ने स्थिति को और जटिल बना दिया। उस समय RBI ने विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर अस्थिरता को कुछ हद तक थामा था।

बीते सालों में कैसा रहा प्रदर्शन?

2023 में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 58 अरब डॉलर की बढ़त दर्ज की गई थी, जबकि 2022 में इसमें 71 अरब डॉलर की बड़ी गिरावट आई थी। 2024 की शुरुआत भले ही सकारात्मक रही हो, लेकिन वर्तमान स्थिति ने बाजार में नई चिंताओं को जन्म दे दिया है।

अभी है सतर्क रहने का समय

भारत-पाक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताएं और सोने में गिरावट — इन सभी कारकों ने मिलकर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को चुनौतीपूर्ण स्थिति में पहुंचा दिया है। हालांकि फिलहाल संकट की स्थिति नहीं है, लेकिन आने वाले हफ्ते देश की आर्थिक स्थिरता के लिए अहम साबित होंगे।

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