देहरादून: हाई कोर्ट ने सूबे की राजधानी में सरकारी आवासों पर कब्जा जमाने को गंभीर माना है. कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए दो माह के भीतर आवास खाली कराने तथा कब्जे के दौरान का बाजार दर के हिसाब से किराया वसूलने के आदेश पारित किए हैं. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आठ सप्ताह के भीतर मामले में कार्रवाई करने व जिनके कार्यकाल में आवंटन हुआ, उसके खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं. कोर्ट के आदेश के बाद पिथौरागढ़, चमोली, बागेश्वर, टिहरी के डीएम, हरिद्वार के सीडीओ समेत 19 अधिकारी-कर्मचारियों को दून में सरकारी आवास खाली करना होगा.
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दरअसल, दून में सेवानिवृत्ति के बाद भी पूर्व अपर सचिव रमेश चंद्र लोहनी को आवास का आवंटन किया गया था. एक महिला कार्मिक ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया था कि सेवानिवृत्त होने के बाद भी सरकारी आवास का आवंटन किया गया है, जो नियम विरुद्ध है. कोर्ट ने याचिका का दायरा बढ़ाते हुए सरकार से मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. सरकार की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया कि राजधानी में 19 अफसर-कर्मचारियों का सरकारी आवासों पर कब्जा है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मामले में आदेश पारित करते हुए इन आवासों को खाली करने के आदेश पारित किए हैं.
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डीएम बागेश्वर रंजना राजगुरु, सी रविशंकर डीएम पिथौरागढ़, डीएम टिहरी गढ़वाल-सोनिका, डीएम चमोली-स्वाति श्रीवास्तव भदौरिया, सीडीओ हरिद्वार-विनीत तोमर, रिटायर एडिशनल सचिव-विनोद रावत, असिस्टेंट हेड क्लर्क प्रसाद केन्द्र सहसपुर देवेश्वरी खंडूरी, कांस्टेबल शैलेंद्र ममगांई-उत्तराखंड पुलिस, राजेश कुमार-सांख्यकी अधिकारी रूद्रप्रयाग, गंगा प्रसाद बडौनी-सीनियर असिस्टेंट दून अस्पताल, लक्ष्मण सिंह व राज सिंह कमांडो उत्तराखंड पुलिस, मधुसुदन श्रीवास्तव-रिटायर हेल्थ सुपरवाइजर, ललित मोहन वर्मा, क्लर्क स्वास्थ्य निदेशालय, चंदन जोशी अकाउंटेंट टे्रजरी, शशिकांत गिरी-सहायक सांख्यिकी अधिकारी पौड़ी गढ़वाल, सरिता रतूड़ी-उपनल अतिरिक्त मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, रामलाल बिजल्वाण-अकाउंटेंट कम कैशियर.