कहा जाता है कि जीवन और मृत्यु दोनों ही परमात्मा के हाथों में होते हैं. परमात्मा की मर्जी के आगे किसी की नहीं चलती. ईश्वर यदि चाहें तो मुर्दे में भी प्राण डाल सकते हैं. इसी बात का साक्षात उदाहरण है, देहरादून से लगभग 128 किमी दूर लाखामंडल जगह पर स्थित भगवान शिव का एक मंदिर. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां आकर मुर्दा भी जिंदा हो जाता है.
कहां है यह मंदिर?
उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून जिले में स्थित, चकराता नगर से लगभग 40-45 किमी दूर लाखामंडल नाम का एक गांव है. यहीं भगवान शिव का एक मंदिर है. यही मंदिर लाखामंडल शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर अपनी रहस्यमय कहानियों और अद्भुत वास्तुकला के लिए विख्यात है. यहां बहुत सी रहस्यमयी गुफाएं हैं.
मंदिर का महाभारत काल से है संबंध ?
इस मंदिर को महाभारत काल से जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि यहां दुर्योधन ने पांडवों को जिंदा जलाने का षडयंत्र रचा था. पांडवों को जिंदा जलाने के ही दुर्योधन ने यहां लाक्षागृह बनवाया था. पांडवों को इस लाक्षागृह में रखा भी गया था, लेकिन पांडव यहां से बच निकले थे
मंदिर का ऐसे पड़ा लाखामंडल नाम
लाखा का अर्थ होता है लाख, और मंडल का अर्थ होता है गोलाकार यानी लिंग. लाखामंडल का अर्थ है ‘लाखों शिवलिंगों का समूह’ और यहां पर कई प्राचीन शिवलिंग स्थित हैं. मान्यता है कि पांडवों ने इस स्थान पर लाख शिवलिंग स्थापित किए थे. इस कारण ही इस गांव का नाम लाखामंडल रखा गया.
मंदिर की प्रमुख विशेषताएं
- मुर्दे भी हो जाते हैं जिंदा!
लाखामंडल मंदिर का सबसे अद्भुत रहस्य यह है कि यहां पर मृत व्यक्तियों को जीवित किया जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि यदि किसी मृत व्यक्ति को यहां लाकर मंदिर के पुजारी द्वारा विशेष पूजा-अर्चना करवाई जाए तो वह मृत व्यक्ति भगवान का नाम लेते हुए जीवित हो जाता है. इसके बाद पुजारी मंत्र पढ़कर उस व्यक्ति के मुख में गंगाजल डालते हैं तब वह व्यक्ति फिर से मृत हो जाता है और उसकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
- अनोखा शिवलिंग
लाखामंडल मंदिर में बहुत से शिवलिंग हैं, लेकिन एक शिवलिंग बहुत ही विशेष है. यह शिवलिंग मंदिर के बाहर मौजूद है. इस शिवलिंग को अद्भुत रूप से गढ़ा गया है. इस शिवलिंग में भक्तों को अपना चेहरा नजर आता है. इस शिवलिंग में अपना चेहरा देखना बहुत शुभ माना जाता है. इस शिवलिंग को देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. मान्यता है कि यह शिवलिंग द्वापर और त्रेता युग से स्थित है. यह इसके अलावा, यहाँ पर एक अद्भुत युगल मूर्ति भी है, जिसे पांडवों द्वारा स्थापित माना जाता है.
- गुप्त दरवाजा
मंदिर परिसर में एक गुप्त दरवाजा भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह पाताल लोक की ओर जाता है. इस दरवाजे के बारे में कई रहस्यमय कहानियां प्रचलित हैं. इसी कारण यह दरवाजा श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का प्रमुख केंद्र है.