आंध्र प्रदेश का पश्चिम गोदावरी जिला स्थित माधवरम गांव आज भी भारतीय सेना के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा और समर्पण के लिए मशहूर है। इस छोटे से गांव में हर बच्चा पैदा होते ही सेना के लिए समर्पित माना जाता है। यहां के लोग सेना को अपनी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा मानते हैं और यह समर्पण एक संस्कृति का रूप ले चुका है।
सेना में भर्ती की दीवानगी
माधवरम गांव की कुल आबादी करीब 6500 है, लेकिन यहां के लोग सेना के प्रति अपनी निष्ठा के लिए हर जगह जाने जाते हैं। यहां लगभग 320 लोग आज भी सेना में सेवा दे रहे हैं, जबकि 1800 लोग रिटायर हो चुके हैं। एक अद्भुत बात यह है कि इस गांव में हर घर में कम से कम एक सैनिक जरूर है। इस गांव की संस्कृति में सेना में भर्ती होना किसी के जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होता है। इसके कारण इस गांव को “सैनिकों का गांव” के रूप में भी जाना जाता है।
गांव के युवा कभी नहीं थकते
माधवरम गांव में हर युवा की ख्वाहिश सेना में भर्ती होने की होती है। यहां के बच्चे और युवा बचपन से ही सेना में भर्ती की तैयारी करते हैं। शरीर से भी ये युवा बलिष्ठ होते हैं, उनकी चौड़ी छाती, माचिस जैसी मूंछें और शारीरिक फिटनेस यही बताती है कि वे हमेशा सेना में जाने के लिए तैयार रहते हैं। यह गांव सेना में सेवा देने के लिए एक अनोखा मॉडल बन चुका है, जहां हर घर से कोई ना कोई व्यक्ति सेना में है।
अग्निपथ योजना पर यहां का रुख
जब 2022 में अग्निपथ योजना का विरोध देशभर में हो रहा था, तब माधवरम गांव के युवा अलग ही दिशा में थे। जबकि देश के अन्य हिस्सों में इस योजना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे थे, माधवरम के लोग खुद को सेना में भर्ती होने के लिए तैयार कर रहे थे। इस गांव के लोगों का मानना है कि अग्निपथ योजना एक सुनहरा अवसर है और इस योजना के तहत भर्ती होने के लिए उनका जोश कम नहीं हुआ। यह भी देखा गया कि इस गांव के किसी भी व्यक्ति ने अग्निपथ योजना का विरोध नहीं किया, जो कि इस गांव के सेना के प्रति अडिग समर्पण का प्रतीक है।
सेना के प्रति गांव का अटूट समर्पण
माधवरम गांव में घुसते ही सबसे पहले आपको भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति दिखाई देगी, जो इस गांव के वीरता के प्रतीक के रूप में स्थापित की गई है। इसके बाद गांव में शहीदों की प्रतिमा भी देखने को मिलेगी, जो सेना में सेवा देने के दौरान शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देती है। माधवरम गांव का हर घर इस बात को मानता है कि सेना में भर्ती होना और देश की सेवा करना सबसे बड़ा सम्मान है।
नई पीढ़ी को प्रेरणा
यहां के रिटायर सैनिक भी नई पीढ़ी को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। वे अक्सर गांव में लौटते हैं और युवाओं को सेना में भर्ती होने के टिप्स देते हैं। हालांकि, अगर किसी कारणवश कोई युवा सेना में भर्ती नहीं हो पाता, तो वह अन्य किसी पेशे में करियर बनाने का विचार करता है। लेकिन यह स्थिति बहुत कम होती है, क्योंकि अधिकांश गांववाले सेना को ही प्राथमिकता देते हैं।