दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब तक हर पार्टी की तरफ से जोरदार घोषणाएँ और मेनिफेस्टो जारी किए जा चुके हैं। आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच ‘मेनिफेस्टो वॉर’ की जंग अब तक काफी तीव्र हो चुकी है। आरोप-प्रत्यारोप, घोटाले के मामले, और भ्रष्टाचार के आरोप तो जैसे एक आम सी बात बन गई है, लेकिन अब मुकाबला सीधे तौर पर अपने-अपने घोषणापत्रों के जरिए जनता को लुभाने की हो रही है। इनमें सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली में इन दिनों ‘फ्री स्कीम्स’ का जोरदार मुकाबला देखने को मिल रहा है।
आम आदमी पार्टी का मिडिल क्लास के लिए बड़ा ऐलान
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एक बार फिर अपना घोषणापत्र जारी किया, जो उन्होंने मिडिल क्लास के लिए खास बताया। केजरीवाल ने कहा कि इतिहास में पहली बार कोई पार्टी अपने मेनिफेस्टो में मिडिल क्लास को प्राथमिकता दे रही है। केजरीवाल का कहना है कि मिडिल क्लास ही असल सुपरपावर है, लेकिन इस वर्ग को हमेशा टैक्स के बोझ और सरकारी नीतियों से दबाया गया है। इस कारण उन्हें राहत देने के लिए कई अहम वादे किए गए हैं।
अरविंद केजरीवाल ने सरकार से 7 अहम मांगें रखी हैं:
- शिक्षा बजट को 2% से बढ़ाकर 10% किया जाए।
- उच्च शिक्षा के लिए सब्सिडी और स्कॉलरशिप की व्यवस्था की जाए।
- स्वास्थ्य बजट को भी 10% तक बढ़ाया जाए।
- हेल्थ इंश्योरेंस से टैक्स हटाया जाए।
- इनकम टैक्स की छूट सीमा को 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख किया जाए।
- जरूरी वस्तुओं पर GST खत्म किया जाए।
- सीनियर सिटिजन्स के लिए मजबूत रिटायरमेंट और पेंशन योजना बनाएं।
मिडिल क्लास: दिल्ली का सबसे बड़ा वोट बैंक
दिल्ली में मिडिल क्लास की आबादी सबसे ज्यादा है और यही वर्ग चुनाव में सबसे अधिक वोट डालता है। चाहे वह लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा, मिडिल क्लास के वोटर्स की संख्या हमेशा निर्णायक रही है। यही कारण है कि दिल्ली में हर पार्टी इस वर्ग को अपनी ओर लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद से ही मुफ्त योजनाओं का तगड़ा खाका पेश किया गया है, जिसको ध्यान में रखते हुए अब अन्य दल भी फ्री स्कीम्स की दौड़ में शामिल हो गए हैं।
बीजेपी का संकल्प पत्र: तीन हिस्सों में बंटा
आम आदमी पार्टी की घोषणाओं का मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने नया तरीका अपनाया है। बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र तीन भागों में बांटा है, जिससे वह समय-समय पर नए वादे और घोषणाएँ करती रहती है। बीजेपी के दूसरे संकल्प पत्र में मिडिल क्लास और व्यापारियों के लिए कई लोकलुभावन वादे किए गए। बीजेपी ने यह भी घोषणा की कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में सभी जरूरतमंद छात्रों को फ्री शिक्षा दी जाएगी।
पहले संकल्प पत्र में महिला सशक्तिकरण, बुजुर्गों के लिए पेंशन योजना और गरीबों के लिए मुफ्त गैस सिलेंडर देने की बात की गई थी। तीसरे हिस्से में बीजेपी युवाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा कर सकती है, जिससे वह युवा वर्ग को भी अपनी ओर आकर्षित करना चाहती है।
कांग्रेस भी पीछे नहीं है: अपने वादों से मैदान में
कांग्रेस पार्टी भी इस चुनाव में पीछे नहीं है। दिल्ली में कांग्रेस इस बार अकेले चुनाव लड़ रही है और उसने आम आदमी पार्टी की योजनाओं पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने केजरीवाल सरकार पर भ्रष्टाचार और घोटाले का आरोप लगाया है। उनका कहना था कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बड़े पैमाने पर घोटाले हुए हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए।
कांग्रेस ने भी फ्री स्कीम्स के मामले में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है। हालांकि, पार्टी ने इन योजनाओं को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है, लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी की फ्री स्कीम्स के मुकाबले अपने वादे करने से नहीं हिचकी है।
आम आदमी पार्टी की टॉप अप स्कीम्स
जैसे ही बीजेपी और कांग्रेस ने फ्री स्कीम्स का ऐलान किया, आम आदमी पार्टी ने अपनी ‘टॉप अप’ स्कीम्स का ऐलान कर दिया। इनमें महिलाओं के लिए ‘महिला सम्मान योजना’, मंदिरों और गुरुद्वारों के पुजारियों और ग्रंथियों के लिए ‘सन्मान योजना’, और किराएदारों के लिए मुफ्त बिजली-पानी देने जैसी योजनाएँ शामिल हैं।
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा दिल्लीवासियों के लिए मुफ्त योजनाएं दी हैं, और ये स्कीम्स इस बार भी उनकी प्राथमिकता में हैं।
चुनावी रणनीतियाँ: घोषणापत्र, फ्री स्कीम्स और बारीकी से वादे
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में पार्टियाँ सिर्फ घोषणापत्र जारी कर ही नहीं बल्कि अपनी रणनीतियों को भी बदल रही हैं। जहाँ एक ओर आम आदमी पार्टी और बीजेपी अपने घोषणापत्र में फ्री स्कीम्स को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस भी इस मुकाबले में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रही है।
कुल मिलाकर, दिल्ली में इस बार का चुनाव महज एक राजनीतिक जंग नहीं बल्कि वोटरों को लुभाने की एक बड़ी लड़ाई बन चुकी है। सभी पार्टियाँ अपने-अपने घोषणापत्रों के जरिए मिडिल क्लास और अन्य वर्गों को लुभाने में जुटी हैं, और अब देखना यह है कि कौन सी पार्टी किसकी स्कीमों को ज्यादा प्रभावी बना पाती है।