हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) के परिणामों ने आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) के बीच संभावित गठबंधन को खत्म कर दिया है। चुनाव में AAP और कांग्रेस के बीच सहयोग की कोशिशें विफल रही, जिसके बाद अब AAP ने स्पष्ट किया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
AAP की प्रमुख प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी अब अकेले भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की ओवर कॉन्फिडेंस ही उसकी हार का मुख्य कारण बना है।
हरियाणा चुनाव में हार का विश्लेषण
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को आए, जिसमें भाजपा ने 90 में से 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को 37 और INLD को 2 सीटें मिलीं। AAP को इस चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा, और पार्टी का कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। कई सीटों पर AAP उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई। पार्टी का वोट शेयर केवल 1.79 प्रतिशत रहा, जो एक बड़ी चिंता का विषय है।
प्रियंका कक्कड़ ने यह भी कहा कि चुनावी रणनीति में कांग्रेस ने AAP और समाजवादी पार्टी को अपने गठबंधन में शामिल नहीं किया, जबकि लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने कांग्रेस को सीटें दी थीं। उन्होंने हुड्डा परिवार पर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस ने AAP के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
AAP की रणनीति
सुशील गुप्ता, AAP के हरियाणा प्रमुख, ने हार के बाद कहा कि अगर कांग्रेस और AAP का गठबंधन होता, तो नतीजे कुछ और हो सकते थे। लेकिन अब AAP अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार कर रही है और एक नई दिशा के तहत दिल्ली चुनाव की तैयारी कर रही है।