रूस-यूक्रेन युद्ध और हमास-इजरायल की जंग के अलावा तमाम ऐसे कारक हैं कि दुनिया के बड़े देशों मसलन अमेरिका और ब्रिटेन जैसों की आर्थिक हालत पतली है। हमारे पड़ोसी देश चीन की अर्थव्यवस्था भी कोरोना के बाद खस्ताहाल हो गई है। हालत ये है कि मंदी की आशंका तक जताई जा रही है।
इन सबके बीच हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए शानदार खबर आई है। केंद्र सरकार ने अनुमान लगाया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष यानी 2023-24 में जीडीपी 7.3 फीसदी रह सकती है। पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में जीडीपी 7.2 फीसदी रही थी। नेशनल स्टैटिस्टकल ऑफिस (NSO) की तरफ से जीडीपी को लेकर ये अनुमान लगाया गया है।
इससे पहले रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जीडीपी का अनुमान 6.2 फीसदी से बढ़ाकर इस वित्तीय वर्ष के लिए 7 फीसदी किया था। एनएसओ की तरफ से अनुमान लगाया गया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में जीडीपी 2011-12 की स्थिर दरों पर रहेगी और ये 171.79 लाख करोड़ के स्तर तक जा सकती है। जीडीपी के बारे में 31 मई 2023 को एनएसओ ने कहा था कि ये 160.06 लाख करोड़ रुपए रहेगी, लेकिन अब अनुमान में इसमें बढ़ोतरी दिखाई गई है।
इसके साथ ही कहा गया है कि अभी के वित्तीय वर्ष में जीडीपी 7.3 फीसदी तक जा सकती है। एनएसओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में मौजूदा कीमतों के आधार पर जीडीपी 296.58 लाख करोड़ रुपए हो सकती है। जबकि, 31 मई 2023 के लिए जीडीपी का अस्थिर अनुमान 272.41 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है।
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं मसलन वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और फिच ने भारत की अर्थव्यवस्था सबसे बेहतर रहने का अनुमान लगाया था। भारत की रेटिंग भी काफी बढ़ाई थी। अगले तीन महीने में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में मोदी सरकार अब बेहतर अर्थव्यवस्था का मुद्दा भी लोगों के बीच ले जा सकती है।
जबकि, विपक्षी दल लगातार ये आरोप लगाते रहे हैं कि मोदी सरकार के दौर में देश की अर्थव्यवस्था काफी खराब हुई है। एनएसओ का ताजा अनुमान और मार्च के बाद आने वाले आंकड़े निश्चित तौर पर मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर लेकर आएंगे।