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Sunday, March 23, 2025

भारतीय ‘बोफोर्स’ ATAGS: 48 किमी तक मार, हर मिनट 5 गोले, जानें कैसे बदलेगी गेम

भारत ने अपनी रक्षा क्षमता को और मजबूत करने के लिए एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) खरीदने की मंजूरी दे दी है। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इसके लिए करीब 7000 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। इनसे लगभग 307 एटीएजीएस खरीदे जाएंगे, जिन्हें पाकिस्तान और चीन से सटी सीमाओं पर तैनात किया जाएगा।

इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय ने 54 हजार करोड़ रुपए के सैन्य साज-ओ-सामान की खरीदारी को मंजूरी दी है, जिनमें एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, वरुणास्त्र तारपीडो और टी-90 टैंकों के लिए नए इंजन शामिल हैं। आइए जान लेते हैं कि क्या है एटीएजीएस, जिसे गेम चेंजर बताया जा रहा है?

48 किमी दूरी तक कर सकती है मार
एटीएजीएस पहली ऐसी गन है, जिसे भारत में ही डिजाइन, विकसित और तैयार किया गया है। यह 155 मिमी आर्टिलरी गन अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसमें दूर तक मार करने की क्षमता है। इस आर्टिलरी गन सिस्टम में 52 कैलिबर की लंबी बैरल लगाई गई है। इससे इसकी फायरिंग रेंज 48 किमी तक बढ़ जाती है। इस तोप की सबसे बड़ी खासियत तो यही है कि इसे पूरी तरह से भारत में ही रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), महिंद्रा डिफेंस नेवल सिस्टम, भारत फोर्ज लिमिटेड, टाटा पॉवर स्ट्रैटेजिक और ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड ने विकसित किया है।

एक मिनट में पांच गोले दाग सकती है
एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम नाम से ही पता चलता है कि यह एक ऐसी गन है, जिसको ट्रक से खींचा जा सकता है। इसको हॉवित्जर यानी छोटी तोप भी कहा जाता है। ये काफी हल्की होती हैं, जिन्हें काफी ऊंचाई तक तैनात किया जा सकता है। बोफोर्स तोप की तरह ये तोपें भी गोला दागने के बाद कुछ दूरी तक खुद ही जा सकती हैं। इसलिए इनको स्वदेशी बोफोर्स भी कहा जाता है। ये माइनस 35 से लेकर 75 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम कर सकती हैं। इनसे हर एक मिनट में पांच गोले दागे जा सकते हैं। इसमें ऑटोमेटिक मोड फायरिंग और कम्युनिकेशन सिस्टम लगा है।

आयात पर निर्भरता घटेगी
स्वदेशी निजी भागीदारों के सहयोग से विकसित इस तोप में लगे 65 फीसदी से अधिक सामान घरेलू हैं। इनमें बैरल, ब्रीच मैकेनिज्म, मजल ब्रेक, फायरिंग और रिकॉइल सिस्टम से लेकर गोला-बारूद हैंडलिंग मैकेनिज्म तक शामिल हैं। इसका नेविगेशन सिस्टम, सेंसर और म्यूजल वेलोसिटी रडार भी अपने देश में ही विकसित किए गए हैं। इसके कारण यह भारत के रक्षा उद्योग को तो मजबूती प्रदान ही करेगी, आयात पर निर्भरता को भी घटाएगी। स्वदेशी सिस्टम से लैस होने के कारण इन तोपों के स्पेयर पार्ट्स को लेकर कोई चिंता नहीं होगी और मरम्मत के लिए भी किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।

साल 2013 में शुरू हुआ था परीक्षण
एटीएजीएस 105 एमएम और 130 एमएम की पुराने तोपों की जगह लेगी। इन्हें देश की पश्चिमी और उत्तर पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जाएगा, जिससे हमारे सुरक्षा बल और मजबूत होंगे। दरअसल, एटीएजीएस का विकास साल 2013 में शुरू किया गया था। इसका पहला कामयाब परीक्षण 14 जुलाई 2016 को किया गया था। 2017 में इन तोपों को गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल किया गया था। जून 2021 में ये 15 हजार फीट की ऊंचाई पर परीक्षण में भी सफल रहीं।

दावा: दुनिया के किसी देश के पास ऐसी तोप नहीं
इन तोपों को गेम चेंजर यूं ही नहीं कहा जा रहा है। डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक का दावा है कि एटीएजीएस दुनिया की सबसे बेहतरीन तोप है और इजराइल जैसे देश के पास भी इस क्षमता की तोप नहीं है। चीन और पाकिस्तान ही नहीं, कोई भी अन्य देश एटीएजीएस जैसी उच्च प्रौद्योगिकी पर ऐसी फायरिंग क्षमता वाली तोप अब तक निर्मित नहीं कर सका है। यह दुनिया में सबसे लंबी दूरी 48 किमी तक मार करने में सक्षम है। इसलिए दुश्मन के करीब जाए बिना ही उसे नेस्तनाबूद किया जा सकेगा।

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