नई दिल्ली: सियासत में कुछ स्थाई नहीं होता है। जरूरत के हिसाब से दोस्त बदलते रहते हैं। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी और कांग्रेस ने यूपी के लड़के साथ साथ का नारा दिया था। ये बात अलग है कि अब आम चुनाव से पहले वो तकनीकी तौर पर भले ही साथ हों। लेकिन जमीन पर रास्ते अलग हो चुके हैं।
यूपी की 80 सीटों में से एसपी-बीएसपी गठबंधन ने दो सीटों रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है। लेकिन कांग्रेस के एक बयान के बाद मायावती भड़क उठीं। दरअसल कांग्रेस की तरफ से बयान आया था कि उसने महागठबंधन के लिए सात सीट छोड़ दी है। बीएसपी सुप्रीमो ने तुरंत मोर्चा संभाला और साफ कर दिया कि एसपी और बीएसपी, बीजेपी को हराने के लिए समर्थ हैं, कांग्रेस को जो मर्जी हो करे। लेकिन भ्रम न फैलाए।
कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहाँ की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहाँ बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये।
— Mayawati (@Mayawati) March 18, 2019
मायावती के बयान के बाद एसपी चीफ अखिलेश यादव ने कहा कि कांग्रेस क्यों कन्फ्यूजन फैला रही है। कांग्रेस के इस बयान से फासिस्ट ताकतों को हराने में मुश्किल होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान से बचना चाहिए। अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में एसपी और बीएसपी का गठबंधन बीजेपी को परास्त कर देगा। ऐसे में कांग्रेस को इस तरह के बयान से तौबा करनी चाहिए। प्रदेश आज बदलाव की मांग कर रहा है और उस बदलाव में अगर आप सहयोग नहीं कर सकते हैं तो उसकी राह में रोड़ा न बनें। ये बात अलग है कि अब आम चुनाव से पहले वो तकनीकी तौर पर भले ही साथ हों। लेकिन जमीन पर रास्ते अलग हो चुके हैं।