अवैध खनन मामला- सीबीआई के बाद ईडी की रडार पर अखिलेश यादव, मनी लॉन्ड्रिंग का केज दर्ज

एक तरफ अखिलेश यादव और मायावती लोकसभा चुनावों के लिए गठबंधन कर मजबूत विपक्षी के तौर पर उभर रही है लेकिन दूसरी ओर अखिलेश यादव की मुश्किलें भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पहले सीबीआई ने अखिलेश पर शिकंजा कसा तो अब ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है.

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अखिलेश यादव पर आरोप है कि उनके 2012 से 2017 तक मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए एक ही दिन में ऑफिस से 13 अवैध खनन पट्टों को मंजूरी दी गई थी. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री रहते हुए अखिलेश यादव ही साल 2012-2013 में खनन मंत्रालय की देख-रेख कर रहे थे और उसी समय ये टेंडर पास हुए थे.

इस मामले में पहले आईएएस अधिकारी बी.चंद्रकला के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की और उसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव की भूमिका की भी जांच शुरु कर दी गई. छापेमारी के बाद अखिलेश यादव ने मौजूदा सरकार पर सीबीआई का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था और साथ ही कहा था कि अच्छा हुआ बीजेपी ने अपना असली रंग दिखा दिया. अब सीबीआई पूछताछ करेगी तो गठबंधन में सीटों के वितरण की जानकारी देनी होगी.

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बता दें कि मामले में सीबीआई द्वारा समाजवादी पार्टी के नेताओं समेत बसपा के नेताओं के यहां भी छापेमारी की जा चुकी है.

कौन-कौन हैं आरोपी

बताते चलें कि अवैध खनन मामले में समाजवादी पार्टी के एमएलसी रमेश मिश्रा और उनके भाई, खनन विभाग में क्लर्क आश्रय प्रजापति, अंबिका तिवारी, राम अवतार सिंह और उनके रिश्तेदार और संजय दीक्षित आरोपी करार है.

 

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