लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार से जनता नाराज है. वह बदलाव चाहती है. इस सरकार से देशवासियों विशेषकर किसानों को क्या मिला? गन्ना किसानों का 12 हजार करोड़ बकाया है. आलू किसान को कुछ नहीं मिला. किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिला. नाराज किसान कई जगह धरना दे रहे हैं.
अखिलेश ने गुरुवार को अपने बयान में कहा कि दिक्कत यह है कि प्रधानमंत्री को जो पसंद है, मुख्यमंत्री उसके विरोध में हो जाते हैं. लखनऊ में दशहरी आम की प्रधानमंत्री ने प्रशंसा की तो मुख्यमंत्री ने आममंडी का काम रुकवा दिया. कन्नौज में इत्र की खुशबू प्रधानमंत्री को पसंद आई तो उससे संबंधित योजना रोक दी गई. समाजवादी सरकार जो मंडियां बना रही थी, उन्हें भी भाजपा ने रोक दिया.
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पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से वाराणसी, अयोध्या, गोरखपुर को नहीं जोड़ा जा रहा है. लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर तो हवाई जहाज तक उतर गया. भाजपा सरकार में उत्तर प्रदेश में कोई निवेश नहीं आया. भाजपा ने खुद कुछ नहीं किया, योगी सिर्फ समाजवादी सरकार के शिलान्यास का शिलान्यास और उद्घाटन का उद्घाटन करने में लगे हैं.
अखिलेश ने कहा कि देश अब नया प्रधानमंत्री चाहता है. गठबंधन की बातें चल रही हैं. जब विपक्ष की सीटें बड़ी संख्या में आएंगी तभी तय होगा कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा. इसमें यूपी की मुख्य भूमिका होगी, क्योंकि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर ही जाता है.
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फिलहाल उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा रालोद मिलकर लड़ेंगे. लोकतंत्र में सभी चाहते हैं कि गठबंधन हों. कहा कि कांग्रेस से दोस्ती है उसे छोड़ेंगे नहीं. उत्तर प्रदेश में काफी सीटे हैं इसलिए सीट बंटवारे में सभी संतुष्ट रहेंगे. इससे तकलीफ सिर्फ भाजपा को है.
अखिलेश ने कहा कि सन् 2019 में लड़ाई भाजपा को हराने की है. उसने जो चुनावी वादे किए थे, वे पूरे नहीं किए. अपने घोषणापत्र में उसने स्मार्ट सिटी बनाने का वादा किया था. गाजियाबाद को देखिए, वहां बरसात में कई वाहन बह गए. वहां जनधन की भारी क्षति हुई. मेट्रो के विस्तार को रोक दिया गया है. नौकरियां और रोजगार देने का वादा था उस क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ. बुलेट ट्रेन कहां चली. डिजिटल इंडिया का नमूना यह है कि गूगल का सहारा लेने पर एक परिवार कार सर्विस लेन में ले जाने से चोटिल हो गए. वहां देखभाल भाजपा सरकार को करना है जो टोलटैक्स वसूल रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि गोरखपुर मंडल के देवरिया में जो महिलाओं, बच्चियों के साथ शर्मनाक करतूतें हुईं, उसकी गहरी जांच होनी चाहिए. जो आश्रय के संचालक थे वे सरकारी कार्यक्रमों में कैसे शामिल होते थे. मुख्यमंत्री हर महीने गोरखपुर जाते थे और उन्हें पड़ोस के देवरिया की घटना की जानकारी नहीं हुई. जेल में हत्या हो गई, उन्हें पता नहीं चला.