सपा-बसपा के वो सारे घोटाले जिनसे खतरे में पड़ सकता है गठबंधन
शनिवार को सपा-बसपा का सीटों को लेकर फॉर्मूला तय हुआ. 37-37 सीटों पर सपा-बसपा की सांठगांठ हुई लेकिन उधर सीबीआई की जांच भी कुछ तेज हो गई है. खबरें हैं कि इस जांच का सीधा असर सपा-बसपा के गठबंधन पर पड़ेगा.
हालांकि मामले तो पुराने हैं लेकिन जांच नई है. ऐसे में जानना जरुरी है सपा-बसपा के उन तमाम मामलों के बारे में जिनसे गठबंधन के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है.
मुसीबत बन सकते हैं ये मामले
एनआरएचएम घोटाला
ये घोटाला मायावती के राज में हुआ था. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानि एनआरएचएम घोटाला 2012 में हुआ था, इस घोटाले के तहत 5 हजार करोड़ रुपए की बंदरबांट हुई थी. मामले में सीबीआई ने बीएसपी सुप्रीमो मायावती से 2 अक्टूबर 2015 को दिल्ली स्थित आवास में करीब 2 घंटे तक जांच की थी. इस घोटाले में मायावती सरकार के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और आईएएस प्रदीप शुक्ला सहित कई नेता जेल भी गए थे. ये मामला अभी भी कोर्ट में है और मामले की जांच सीबीआई और ईडी कर रही हैं.
यूपीपीएससी भर्ती घोटाला
यूपीपीएससी भर्ती घोटाला समाजवादी कार्यकाल का है. इसकी जांच सीबीआई कर रही है. इस जांच में अनिल यादव पर शिकंजा कसा गया है जो कि सपा के करीबी हैं. ये मुद्दा भी अब रफ्तार पकड़ सकता है.
रिवर फ्रंट घोटाला–
रिवर फ्रंट घोटाला में जांच अभी थोड़ी सुस्त थी लेकिन अब लगता है कि इस घोटाले की जांच में भी तेजी आ सकती है. ये मुद्दा भी अखिलेश सरकार से जुड़ा हुआ है. केस की जांच मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत चल रही है और प्रवर्तन निदेशालय इसकी जांच में जुटी है.
यादव सिंह घोटाला–
यादव घोटाला के तहत सपा और बसपा के कई नेता निशाने पर हैं. दोनों की पार्टियों की गर्दन इस मुद्दे को लेकर फंसी हुई है. मामले में मायवती के भाई आनंद और भाभी सीबीआई के निशाने पर हैं. वहीं, समाजवादी के नेता राम गोपाल यादव के बेटा और बहु पर भी शिकंजा कसा है.
जवाहर बाग कांड
इस घोटाले की लपटें पर दूर दूर तक जा सकती हैं. ये घोटाला मथुरा में हुआ था. और जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है. अवैध कब्जे वालों के हमले में मथुरा के तत्कालीन एएसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एक एसएचओ की मौत हो गई थी.
स्मारक घोटाला–
ये घोटाला मायवती सरकार में हुआ था. मामला सरकार के कार्यकाल में बने स्मारकों के निर्माण को लेकर अरबों का घोटाला हुआ था. इसकी जांच ईडी द्वारा की जा रही है. स्मारक घोटाले में मायावती सरकार के दो पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी अब बागी हो चुके हैं. ये घोटाला मायावती के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है.
वक्फ बोर्ड, चीनी मिल घोटाला
ये दोनों मामले सपा सरकार के कार्यकाल में हुए थे. एक में जल निगम की भर्तियों को लेकर घोटाला हुआ तो दूसरा घोटाला जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है. हालांकि सीबीआई द्वारा दोनों मामलों में केस दर्ज नहीं हुआ है. लेकिन वक्फ बोर्ड घोटाले की जांच हुई तो सपा के कद्दावर नेता आजम खां फंस सकते हैं.