अमेरिका में राहुल गांधी को लेकर सैम पित्रौता का बड़ा बयान, कहा- ‘वो पूप्पू नहीं…’

कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ विपक्षियों द्वारा ‘पप्पू’ कहे जाने पर जवाब दिया। पित्रोदा ने दावा किया कि राहुल गांधी की सोच भाजपा द्वारा प्रचारित विचारधारा के विपरीत है। बता दें कि ये बाते सैप पित्रोदा ने अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी में छात्रों के संबोधन के द्वारा कहीं।

‘राहुल गांधी पप्पू नहीं’

टेक्सास में भारतीय प्रवासियों को संबोधित करते हुए पित्रोदा ने कहा, ‘राहुल गांधी सोच भाजपा द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर प्रचारित की जा रही विचारधारा के विपरीत है। मैं आपको बता दूं, वह पप्पू नहीं हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘वह अत्यधिक शिक्षित, बहुत पढ़े-लिखे हैं, एक रणनीतिकार हैं, जो किसी भी विषय पर गहराई से सोचते हैं और कभी-कभी उन्हें समझना आसान नहीं होता।’

‘राहुल गांधी का एक अलग एजेंडा है’

सैम पित्रोदा ने राहुल गांधी की सराहना करते हुए कहा कि उनका एजेंडा विविधता का उत्सव मनाना है। उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी का एक अलग एजेंडा है, जो उस मुद्दे पर केंद्रित है जिसे हम लंबे समय से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन वो मुद्दे अभी तक अच्छी तरह से हल नहीं कर पाए हैं।’

‘राहुल गंधी जो कहते हैं, वो करते हैं’

उन्होंने कहा, ‘जब राहुल गांधी पिछली बार न्यूयॉर्क में एक कार्यक्रम के दौरान हमसे मिलने आए थे, तब डलास में भी आने की मांग उठी थी। राहुल गांधी ने वादा किया था कि अगली यात्रा में वह डलास आएंगे, और अब वह अपना वादा निभा रहे हैं। पित्रोदा ने आगे कहा कि राहुल गंधी जो कहते हैं, उसे करते हैं। मुझे खुशी है कि अपने व्यस्त कार्यक्रम से समय निकालकर वह तीन दिनों के लिए यहां आए हैं। इन तीन दिनों में वह एक दिन डलास और दो दिन वॉशिंगटन डीसी में बिताएंगे।

 

पित्रोदा के बयानों की BJP करती रही है आलोचना

गौर हो कि पित्रोदा के पिछले बयानों ने अक्सर बीजेपी को कांग्रेस की आलोचना करने का मौका दिया है। एक बार उन्होंने कहा था कि मंदिरों से भारत की बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं होगा। उनका कहना था कि इन गंभीर मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, न कि केवल धार्मिक मामलों पर।

इसके अलावा पित्रोदा के 1984 के सिख विरोधी दंगों और पुलवामा हमले के बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक पर दिए गए विवादास्पद बयानों ने भी काफी आलोचना का सामना किया है। मई 2019 में जब उनसे 1984 के दंगों के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने ‘हुआ तो हुआ’ कहकर जवाब दिया था। वहीं फरवरी 2019 में उन्होंने एयर स्ट्राइक की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सुझाव दिया था कि सैन्य कार्रवाई से प्रतिक्रिया देना दुनिया से निपटने का सबसे उपयुक्त तरीका नहीं हो सकता।

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